इंदौर। कल रात रायपुर जेल (Raipur Jail) से छूटने के बाद इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे कालीचरण महाराज (Kalicharan Maharaj) के स्वागत-सत्कार के लिए बड़ी संख्या में हिन्दू संगठन से जुड़े कार्यकर्ता पहुंचे और उन्हें तलवार भी भेंट की, जो उन्होंने वाहन पर सवार होकर लहराई भी। भारत माता जिंदाबाद सहित अन्य नारे भी जमकर लगे और इतनी संख्या में वाहनों-कार्यकर्ताओं के एयरपोर्ट पहुंचने के कारण हवाई यात्रियों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा। वहीं पुलिस के वायरलेस सेटर पर यह भी गूंजता रहा कि गोडसे जिंदाबाद के नारे तो नहीं लगे, संबंधित थाना प्रभारी पता लगाएं।
कालीचरण महाराज को लेकर भाजपा की स्थिति गले में फंसी हड्डी की तरह है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार (Congress government of Chhattisgarh) ने तो गांधी जी के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी के चलते कालीचरण के खिलाफ ना सिर्फ प्रकरण दर्ज करवाए, बल्कि 95 दिन जेल में भी तक बंद रहे। अभी कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्हें रायपुर जेल से परसों रिहा किया गया और कल रात वे इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां पर हिन्दू संगठन से जुड़े राजेश बिडकर और अभिमन्यु मिश्रा और उनके साथ आए कार्यकर्ताओं ने स्वागत-सत्कार किया। मीडिया से चर्चा करते हुए कालीचरण ने कहा कि उन्होंने जो कहा उसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है और सच बोलने की सजा मिली। हिन्दुत्व को जिंदा रखना है और इंदौर आकर उनका मनोबल बढ़ गया। वे विजय नगर क्षेत्र में अपने समर्थक के घर ही रूके हैं।
वहीं पुलिस-प्रशासन उनकी यात्रा को लेकर असहज भी रहा, क्योंकि खुलकर जहां भाजपा नेता कालीचरण का समर्थन नहीं कर पा रहे हैं, मगर गोडसे का समर्थन करने वाले भी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों में कम नहीं है। यही कारण है कि पुलिस की खूफिया शाखा यानी सीआईडी भी यह पता लगाती रही कि कहीं कालीचरण महाराज या उनके समर्थकों ने गोडसे जिंदाबाद के नारे तो नहीं लगाए और वायरलेस सेट पर भी पुलिस के आला अफसरों के संदेश गूंजते-सुनाई दिए, जिसमें संबंधित थाना प्रभारियों से पूछा गया कि गोडसे जिंदाबाद के नारे अगर लगाए जाएं, यह पता लगाया जाए। वहीं उनके समर्थक राजेश बिडकर का कहना है कि गोडसे जिंदाबाद के नारे कहीं नहीं लगाए गए। सिर्फ भारत माता की जय और हिन्दुत्व से संबंधित नारे ही लगाए गए।
वहीं रात को एयरपोर्ट से रवाना होने के बाद कालानी नगर चौराहा पर उन्हें समर्थकों ने तलवार भेंट की, जो कालीचरण ने हवा में लहराई भी। अगर कोई और व्यक्ति होता तो पुलिस इस तरह हथियार लहराने के मामले में भी कार्रवाई कर लेती। मगर यहां पर पुलिस-प्रशासन की चुप्पी आश्चर्यजनक इसलिए नहीं है क्योंकि पर्दे के पीछे इस तरह की गतिविधियों को प्रोत्साहित देशभर में ही किया जाता रहा है।
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