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    निलंबित सांसदों का धरना समाप्त, विपक्ष पूरे मानसून सत्र का बहिष्कार करेगा

  • September 22, 2020

    नई दिल्ली। राज्यसभा के सभी आठ निलंबित सांसदों ने अपना धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने पूरे मानसून सत्र के बहिष्कार का ऐलान किया। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों ने राज्यसभा का वॉकआउट किया है। कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), डीएमके, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), वामदल, आरजेडी, टीआरएस और बीएसपी ने भी कार्यवाही का बहिष्कार किया है।

    दरअसल, 20 सितंबर को किसानों से जुड़े बिल को पास कराने के दौरान इन सांसदों ने हंगामा किया। इसके बाद सोमवार को सभापति वेंकैया नायडू ने आठ सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया था। इसके बाद सभी सांसद, संसद परिसर में ही धरने पर बैठ गए थे। सभापति वेंकैया नायडू ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, के.के. रागेश और माकपा के ई. करीम को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया है। इसके विरोध में सभी सांसद, गांधी प्रतिमा के पास धरने पर थे और पूरी रात संसद परिसर में गुजार दी।

    आज सुबह जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस ने यह मसला उठाया. कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक हमारे सांसदों के संस्पेंशन को वापस नहीं लिया जाता और किसान के बिलों से संबंधित हमारी मांगों को नहीं माना जाता विपक्ष सत्र से बायकॉट करती है। इसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि मैंने न केवल सांसदों की सदन वापसी की मांग की बल्कि मैंने विपक्ष की तरफ से माफी भी मांगी, लेकिन मेरी माफी के बदले कोई रिस्पांस नहीं दिया गया। इससे मुझे बहुत कष्ट हुआ। इसलिए मैं और मेरी पूरी पार्टी संसद के इस पूरे सत्र का बहिष्कार करती है।

    वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री और राज्यसभा सदस्य एचडी देवगौड़ा ने कहा कि विपक्ष और सरकार दोनों को एक साथ बैठकर सदन चलाने में मदद करनी चाहिए। एक-दूसरे के सहयोग से लोकतंत्र जारी रहना चाहिए। विपक्ष के बार-बार कहने पर भी सरकार, सभी 8 सांसदों का निलंबन वापस लेने के मूड में नहीं दिख रही है। हालांकि, उसने एक शर्त जरूर रखी है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अगर नंबरों की बात करें तो उस दिन हमारे पक्ष में 110 वोट थे और इनके पक्ष में 72। अगर वो (8 सांसदों द्वारा प्रदर्शित अनियंत्रित व्यवहार) इस पर खेद व्यक्त करते हैं तो सरकार इस बात से सहमत है कि उन्हें सदन से बाहर नहीं होना चाहिए।

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