हमीरपुर. डॉक्टर्स को यूं ही भगवान नहीं कहा जाता है. कोरोना काल में इसकी बानगी तो हम देखते रहे हैं. लेकिन अब एक और मामले में डॉक्टर्स ने बच्ची को नया जीवन ही दिया है. हिमाचल (Himachal Pradesh) के हमीरपुर की आठ साल की बच्ची का कटा हुआ हाथ पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) के डॉक्टर्स की टीम ने जोड़ा है.
बच्ची का हाथ का अगला हिस्सा घास काटने की मशीन में आने के बाद पूरी तरह से अलग हो गया था. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने 11 घंटे की सर्जरी में कटा हुआ हाथ फिर से जोड़ दिया है. सबसे कम उम्र की बच्ची का कटा हुआ हाथ जोड़कर पीजीआई उत्तर भारत में ऐसा करने वाला पहला चिकित्सा संस्थान बन गया है.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड प्रोफेसर आरके शर्मा ने बताया कि पीजीआई में इस प्रकार की जटिल सर्जरी कामयाब हो रही हैं. कारण प्लास्टिक सर्जरी के क्षेत्र में पीजीआई समय-समय पर नई तकनीक से काम कर रहा है.पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. एस त्रिपाठी, डॉ. जेरी आर जॉन और प्रोफेसर अतुल प्राशर ने बच्ची की सर्जरी की थी.
हमीरपुर से है बच्ची
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से बीते 25 जून को बच्ची पीजीआई के एडवांस ट्रामा सेंटर में लाई गई. 10 दिन तक चले बच्ची के इलाज के बाद दोबारा नया जीवनदान दिया गया. जब बच्ची की सर्जरी की गई, उस दौरान उसके कटे हुए हाथ में 20 जगहों पर सर्जरी की गई. कटे हुए हाथ की कलाई को दोबारा जोड़कर उसकी नसों और हड्डियों को दोबारा जोड़ा गया. प्लास्टिक सर्जरी के जरिये बच्ची की स्किन को भी दोबारा रीइम्पलांट किया गया.
ऐसे हुआ था बच्ची के साथ हादसा
पशुओं के लिए चारा काटने वाली मशीन में बच्ची का हाथ आ गया था. इससे बच्ची का हाथ कट गया था. डॉ. एस त्रिपाठी ने बताया कि अगर हादसे के बाद सात से आठ घंटे के भीतर अगर कटा हुए अंग को फौरन इलाज मिल जाए, तो उसे शरीर के साथ दोबारा जोड़ा जा सकता है.
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