इंदौर। शहर में संचालित होने वाले स्कूलों में वैन और ऑटो रिक्शा से आने वाले बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूलों की भी होगी। इसे लेकर जिला प्रशासन के आदेश पर आज परिवहन विभाग ने जिले के सभी स्कूलों की बैठक आयोजित की है। इसमें स्कूलों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे ऐसे वाहनों में भी नियमों का पालन सुनिश्चित करें, ताकि बच्चे सुरक्षित रूप से स्कूल आ-जा सकें।
स्कूल शुरू होते ही शहर में हर बार की तरह इस बार भी वैन और ऑटो रिक्शा में ठूंसकर बच्चों के परिवहन के दृश्य आम हो चुके हैं। स्कूली वाहन न होने के कारण इनमें बच्चों की सुरक्षा के नियमों का पालन भी करवाना मुश्किल है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने तय किया है कि ऐसे वाहनों में स्कूल भी सुरक्षा का ध्यान दें। इसे लेकर आज आरटीओ ऑफिस में दोपहर 3 बजे जिले के सभी स्कूलों के संचालकों की बैठक बुलाई गई है। आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि बैठक का उद्देश्य स्कूल संचालकों को स्कूली वाहनों में सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित करवाना और वैन-ऑटो से आने वाले बच्चों के लिए भी सुरक्षा की जिम्मेदारी तय करना है।
हमारे वाहन नहीं तो हमारी जिम्मेदारी नहीं, कहकर बच नहीं सकेंगे स्कूल
शहर में निजी वाहनों से स्कूल जाने वाले बच्चों को लेकर हमेशा से ही स्कूल संचालक यह कहकर बचते आए हैं कि जो बच्चे हमारे वाहनों से स्कूल नहीं आते, उनके आने-जाने की जिम्मेदारी पालकों की है, हमारी नहीं। आरटीओ ने बताया कि अब स्कूल ऐसा कहकर बच नहीं सकेंगे। प्रशासन ने तय किया है कि अगर आपके स्कूल में बच्चा किसी भी वाहन से आ रहा है तो आपको देखना होगा कि वो वाहन में सुरक्षित है या नहीं। वाहन में ओवरलोडिंग या ओवरस्पीडिंग तो नहीं हो रही है। लापरवाही होने पर स्कूल की भी जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी।
पालकों पर पड़ सकता है बोझ
कुछ साल पहले भी प्रशासन के पहल पर परिवहन विभाग ने वैन और ऑटो में ओवरलोडिंग पर रोक लगा दी थी। इस पर वैन और ऑटो चालकों ने बच्चों की फीस दोगुनी कर दी थी। रिक्शा चालकों का कहना था कि रिक्शा में छह से आठ बच्चे ले जाते हैं, अगर सिर्फ चार ही बच्चे ले जाएंगे तो उन बच्चों से ज्यादा पैसे लिए जाएंगे, जिसका पूरा बोझ पालकों पर पडऩे लगा था। कुछ ही समय बाद व्यवस्था पहले की ही तरह हो गई थी।
वाहन चालक, स्कूल और पालक चार बातों का रखें ध्यान
आरटीओ ने बताया कि जिन निजी वाहनों में बच्चे स्कूल जाते-आते हैं, उनमें खासतौर पर चार बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पहला वाहन में तय बैठक क्षमता से ज्यादा बच्चों को न बैठाया जाए, ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस हो, वाहन में बाजार से लगे सीएनजी या एलपीजी टैंक न हो और वाहन में ओवरस्पीडिंग न हो। इन बातों का ध्यान वाहन चालक, पालक और स्कूल संचालकों को रखना होगा। ऐसा न होने पर वाहन चालक के साथ ही स्कूलों पर भी कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर जल्द ही वैन और रिक्शा चालकों की भी बैठक बुलाई जाएगी।
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