नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां जिस छात्र को स्कूल ने पांचवीं कक्षा में फेल करके छठवीं क्लास में प्रमोट करने से इनकार कर दिया था, उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने पास करार दिया. साथ ही स्कूल को उस बच्चे को छठवीं क्लास में प्रमोट करने का निर्देश दिया.
जस्टिस सी. हरिशंकर की बेंच ने बच्चे के पिता के मार्फत दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि संतुलन का सिद्धांत बच्चे के हक में है, क्योंकि उसकी शिक्षा प्रभावित होती है तो वह अपूर्णीय क्षति होगी, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती.
वहीं, स्कूल बच्चे को छठवीं क्लास में बैठने देता है तो इससे स्कूल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. बच्चे का आरोप था कि उसे गलत ढंग से फेल कर दिया गया. इससे शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) का उल्लंघन हुआ है. इस पर अदालत ने निजी स्कूल और शिक्षा निदेशालय को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है. मामले की सुनवाई 4 जुलाई को होगी.
याचिका के अनुसार, छात्र ने अलकनंदा स्थित निजी स्कूल में वर्ष 2023-24 में पांचवीं क्लास की परीक्षा दी थी। परिणाम बताए बिना महज 15 दिन के भीतर 6 और 18 मार्च को उसकी पुन: परीक्षा ली गई और फेल घोषित कर छठी कक्षा में प्रमोट करने से इनकार कर दिया। छात्र के मुताबिक, यह शिक्षा के अधिनियम की धारा 16(3) का उल्लंघन है।
छात्र का कहना है कि स्कूल ने उसे फेल होने की जानकारी नहीं दी. इसके अलावा पुन: परीक्षा के लिए दो माह का वक्त भी दिया जाना चाहिए था, ताकि परीक्षा की तैयारी कर सके, यहां ऐसा नहीं किया गया. हालांकि, स्कूल का कहना था कि दो माह के भीतर कभी भी यह परीक्षा ली जा सकती है. अब कोर्ट के इस फैसले से छात्र और उसके परिजन बेहद खुश हैं.
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