उज्जैन। त्रिवेणी पर मिट्टी का बांध ढह जाने और गंदा बदबूदार पानी शिप्रा में मिलने की जानकारी पाकर मंगलवार को शिव शंभू सन्यासी मंडल त्रिवेणी पहुंचकर निरीक्षण किया, इस दौरान नदी की दुर्दशा देखकर संतों ने नाराजगी जताई। संतों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि दोषी अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही कर माँ क्षिप्रा की पवित्रता के लिए स्थाई समाधान अवश्य निकालें। त्रिवेणी पर निरीक्षण के बाद संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने को मुख्यमंत्री तथा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नाम पत्र लिखा। संत अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में लिखा कि करोड़ों भक्तों की आस्था की केंद्र माँ क्षिप्रा की वर्तमान में जो दुर्दशा हो रही है उसके पीछे प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही एवं उनकी संकुचित सोच ही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। सोमवार शाम को जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री कमल कुवाल द्वारा स्वयं त्रिवेणी बांध को काटकर खान नदी का सारा करोड़ों लीटर केमिकल युक्त गन्दा पानी क्षिप्रा में मिला दिया गया, जिसके कारण पूर्व से गऊघाट पर जमा करीब 156 एमसीएफटी नर्मदा जी का शुद्ध जल बेकार हो गया।
उस जल को लाने की लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपए बताई जा रही है तथा पूरी क्षिप्रा मैली हो गई। अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सच्चे अर्थों में हम उज्जैन को स्मार्ट बनाना चाहते हैं तो क्षिप्रा को स्मार्ट बनाने के लिए इंदौर का ड्रेनेज वाटर एवं देवास की केमिकल फैक्ट्रियों का केमिकल व उज्जैन के गन्दे नालों का गंदा पानी क्षिप्रा में ना आए इसलिए दूरगामी योजना बनाते हुए कैनाल के द्वारा इस गंदे पानी को आगे बढ़ाना चाहिए। निरीक्षण के दौरान मुकुंद पुरी महाराज, सेवानन्द गिरी महाराज, अग्नि अखाड़े से महंत रामेश्वरानन्द महाराज, आनन्द अखाड़े से महन्त समुंदर गिरी महाराज, हरि ओम नाथ महाराज, दत्त अखाड़े से महन्त राजा पुरी महाराज, कृष्णा गिरी महाराज, स्वामी प्रणवानन्द महाराज सहित अन्य संत महंत मौजूद रहे।
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