रांची । सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार (The ruling Hemant Soren Government) एक बार फिर (Once Again) भाजपा के चुनावी अभियान (BJP’s Election Campaign) का केंद्र बन गई है (Has become the Center) । झारखंड में विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही भाजपा ने अपने संकल्प ‘रोटी, बेटी और माटी’ के तहत यह स्पष्ट किया है कि वे झारखंड की जनता को बांग्लादेशी घुसपैठियों के खतरे से बचाने का प्रयास करेंगे।
इस संकल्प में रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, और भूमि संरक्षण की बातें शामिल हैं। भाजपा ने इस चुनावी अभियान के माध्यम से झारखंड की महिलाओं को एकजुट किया है। राज्य की महिलाएं भाजपा की परिवर्तन यात्रा में मिट्टी की पोटली लेकर आ रही हैं, जिसका प्रतीकात्मक अर्थ है कि उनकी माटी, बेटी और रोटी खतरे में हैं। भाजपा ने यह दावा किया है कि झारखंड में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है, जो न केवल स्थानीय लोगों की ज़मीनों पर कब्जा कर रहे हैं, बल्कि उनके रोजगार और छोटे व्यवसायों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
भाजपा का यह संकल्प उन समस्याओं को हल करने का वादा करता है, जिनसे झारखंड की आदिवासी और स्थानीय आबादी जूझ रही है। पार्टी ने यह भी कहा है कि वे रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे और विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। हेमंत सोरेन सरकार पर आरोप है कि वह इन गंभीर मुद्दों पर कार्रवाई करने में असफल रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या ने आदिवासी समुदायों के लिए गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि ये घुसपैठिये उनकी जमीनों, संसाधनों, और सांस्कृतिक ताने-बाने को नष्ट कर रहे हैं। हाल के वर्षों में, विशेषकर संथाल परगना में, इन घुसपैठियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। पाकुड़ जिले में 2011 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि दर आधिकारिक तौर पर 28 प्रतिशत थी, लेकिन एक हालिया सत्यापन से पता चला है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मतदाता वृद्धि दर 65 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह स्थिति आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। महिलाओं की सुरक्षा झारखंड में महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन चुकी है।
हाल के वर्षों में, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या इस बात को साबित करती है कि हेमंत सोरेन सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। साल 2020 से 2022 के बीच, झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 30% की वृद्धि हुई है, जिसमें बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा शामिल हैं। सरकार द्वारा बनाई गई महिला सुरक्षा योजनाएं कागजों तक सीमित रह गई हैं। इसके बावजूद, भाजपा ने वादा किया है कि वे सत्ता में आने के बाद महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे।
झारखंड में बेरोजगारी की दर लगभग 12% तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत 7% से कहीं अधिक है। यह स्थिति गंभीर है और इससे यह स्पष्ट होता है कि पिछले कुछ वर्षों में रोजगार सृजन की प्रक्रिया में कमी आई है। हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों के तहत, जो योजनाएं बनाई गई हैं, वे अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही हैं। भाजपा ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि वे झारखंड में रोजगार के अवसरों को बढ़ाएंगे और उद्योगों में निवेश को आकर्षित करेंगे। भाजपा का ‘रोटी, बेटी और माटी’ का चुनावी अभियान झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है।
सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार की विफलताएँ और भाजपा का यह संकल्प आदिवासी समुदायों के अस्तित्व, महिला सुरक्षा, और रोजगार के मुद्दों को प्रमुखता से उभार रहा है। झारखंड की जनता अब देख रही है कि आगामी चुनावों में कौन सी पार्टी उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए उनकी समस्याओं का समाधान कर सकती है।
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