नागदा। एक समय शहर में सबसे अधिक बिजनेस करने वाली कम्पनी सहारा इंडिया में अचानक कानूनी अड़चन के चलते भुगतान पिछले कई वर्षों से लगभग बंद के समान हो गया था। तब से ही शहर और आसपास के हजारों छोटे-बड़े सभी निवेशकों का रुपया बैंक में फंस गया।
कई बार स्थानीय स्तर पर विवाद और आंदोलन के बाद भी मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण कोई हल नहीं निकल पाया। अब जबकि सरकार के दखल और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से निवेशकों का पैसा निकलने की उम्मीद जगी पर इस पर लागू गाइडलाइन छोटे गरीब निवेशकों की जेब पर भारी पड़ रही है। हाल ही में जारी निर्देशों के अनुसार निवेशकों का आधार कार्ड, बैंक अकाउंट और पेन कार्ड होना जरूरी है तथा उनका आपस में लिंक होना भी आवश्यक है। यही निर्देश छोटे निवेशक जैसे सब्जी वाले, ठेले वाले, घरेलू महिलाएँ जिन्होंने उस दौरान छोटी रकम एकत्र करने की चाह में प्रतिदिन कलेक्शन के रूप में एजेंट को किश्त जमा की थी पर भारी पड़ रहे हैं।
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