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    कागजों से बाहर नहीं आ सकी बीहड़ प्रबंधन योजना

  • April 02, 2022

    • 1100 करोड़ रुपए की योजना हो गई अब 1600 करोड़ की
    • चंबल की करीब 1.62 लाख हैक्टेयर जमीन का करना था समतीकरण

    भोपाल। छह साल पहले शुरू हुई चंबल के बीहड़ों के समतीकरण की कवायद कागजों से बाहर नहीं आ सकी। समतल बीहड़ भूमि को कृषि और बागवानी कार्य के लिए भूमिहीन किसानों को पट्टे पर देने से न केवल कृषि योग्य रकबा बढ़ता बल्कि कृषि उत्पादन और आय भी बढ़ जाती। आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र मुरैना और कोटा के सहयोग से यह कार्ययोजना पहले 1100 से बढ़कर 1300 करोड़ हुई, बाद में इस पर 1605 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया। जानकारों का मानना है कि अब यह कार्ययोजना बीहड़ समतलीकरण की स्वतंत्र योजना के रूप में सामने नहीं आएगी। बल्कि प्रस्तावित अटल प्रगति-पथ से उम्मीद लगाई जा रही है। तीनों जिलों को कवर करने वाले अटल प्रगति-पथ का पूरा मार्ग चंबल के बीहड़ से होकर तय किया गया है। इसलिए माना जा रहा है कि इससे बीहड़ कटाव रुकेगा और आसपास लॉजिस्टिक हब व अन्य व्यापारिक कार्य शुरू होने से बीहड़ प्रबंधन में मदद मिलेगी। अटल प्रगति पथ में करीब 3100 हैक्टेयर भूमि सीधे तौर पर बीहड़ी क्षेत्र की आ रही है। बीहड़ भूमि के उपचार से 40 से 60 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर तक आय बढ़ सकती है।


    पुलों के निर्माण से बढ़ेगा बीहड़ भूमि का उपयोग
    चंबल नदी पर वर्तमान में तीन पुल निर्माणाधीन हैं। भिण्ड जिले में अटेर घाट पर पुल लगभग बनकर तैयार है। इसे भिण्ड और आगरा जिले की बाह तहसील का सीधा जुड़ाव होने से आसपास के क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ जाएंगी। दूसरा पुल मुरैना जिले में अंबाह तहसील के उसैद और आगरा की बाह तहसील के पिनाहट घाट को जोड़ते हुए बन रहा है। इससे यहां आवागमन सुगम होने पर व्यापारिक गतिविधियां बढऩे का लाभ बीहड़ों को मिलेगा। मुरैना जिले में ही राजस्थान सरकार सबलगढ़ के अटार और राजस्थान में करौली जिले के मडरायल घाट के बीच में पुल बना रही है। यह सभी पुल वर्ष 2022 से 2026 के बीच पूरे कराए जाएंगे।

    केंद्रीय मंत्री ने की थी बीहड़ समतलीकरण की पहल
    केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वर्ष 2016 में इसकी पहल की थी। आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र परिसर में आयोजित किसान सम्मेलन में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने इसकी घोषणा की थी। बाद में मुख्यमंत्री ने भी इस पर घोषणा की थी। इससे लोगों को उम्मीद जागी थी कि बीहड़ों का समतलीकरण जल्द होगा।

    बीहड़ भूमि प्रबंधन का प्रस्ताव
    भूमि के कटाव के लिए उपचार और वनस्पति को विकसित करना होगा। इस पर 75532 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। कृषि व गैर कृषि योग्य भूमि को उत्पादन के योग्य बनाने पर 62948 लाख रुपए खर्च हो सकते हैं। आजीविका के साधन मजबूत करने के प्रयासों पर 7169 लाख रुपए का प्रावधान करने की जरूरत है। क्षमता वृद्धि के लिए उत्कृष्ट केंद्र स्थािपत करने पर 7965 लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। वैज्ञानिक कार्ययोजना, निगरानी आदि के लिए जरूरी इंतजाम करने पर भी 7010 लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है।

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