चोपड़ा: पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में गुरुवार को पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने जा रहे 3 लोगों को गोली मार दी गई. सीपीआई ने दावा किया कि तीनों घायल व्यक्ति वाम मोर्चा और कांग्रेस के समर्थक थे, जिन्हें तब गोली मारी गई जब वे नामांकन दाखिल करने के लिए चोपड़ा ब्लॉक कार्यालय जा रहे थे. एक अधिकारी ने कहा कि तीनों घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनमें से एक की मौत हो गई. सीपीएम ने दावा किया है कि उसके कार्यकर्ता मनसूर अली की मौत गोली लगने से हुई है.
राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने इस घटना पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अभी तक इस बारे में कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. सीपीआई के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि हमले के पीछे टीएमसी का हाथ है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा ब्लॉक में अभी टीएमसी के गुंडों द्वारा कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों पर गोलियां चलाई गई हैं. वाम-कांग्रेस समर्थक नामांकन दाखिल करने के लिए ब्लॉक कार्यालय जा रहे थे.’ आपको बता दें कि बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं.
सत्तारूढ़ टीएमसी ने लेफ्ट कांग्रेस के आरोप को खारिज कर दिया. त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में लगभग 75,000 सीटों के लिए मतदान 8 जुलाई को होगा और शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है. पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के खंडपीठ के आदेश के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है. एसईसी उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ से संपर्क करेगा जिसमें मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य शामिल हैं.
ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी खंडपीठ ने पहले पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश पारित किया था. बुधवार शाम तक एसईसी ने सेंट्रल फोर्सेज की तैनाती पर कोई फैसला नहीं लिया था. हालांकि, अब एक समीक्षा याचिका के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के फैसले के बाद, विपक्षी दलों ने ग्रामीण नागरिक निकाय चुनावों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में राज्य निर्वाचन आयोग की ईमानदारी पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. बंगाल बीजेपी ने एसईसी से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि वह राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती पर कोई निर्णय लेने में अनिच्छुक क्यों है.
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