इंदौर। दिल्ली के कथित 100 करोड़ के शराब घोटाले का भाजपा के साथ-साथ न्यूज चैनलों ने देशभर में ना सिर्फ हल्ला मचाया, बल्कि मंत्रियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी जेल में डाल दिया। दूसरी तरफ उससे बड़ा महाघोटाला इंदौर की नगर निगम में ही हो गया, जिसमें फर्जी बिल लगाकर 150 करोड़ रुपए हड़प लिए और इस घोटाले का आकार रोजाना बढ़ता ही जा रहा है। यहां तक कि भाजपा के ही पूर्व विधायक ने एक हजार करोड़ के घोटाले का अंदेशा जाहिर किया है। अब सवाल जनता पूछ रही है कि भ्रष्टाचार पर रात-दिन हल्ला मचाने और विपक्ष को जेलों में ठूंसने वाली भाजपा खामोश क्यों है और इंदौर-भोपाल से लेकर दिल्ली तक निगम के इस महाघोटाले पर सुंई पटक सन्नाटा पसरा है। सिर्फ स्थानीय मीडिया ही इससे जुड़ी खबरें प्रकाशित कर रहा है और पुलिस भी अपने स्तर पर जांच में जुटी है और आशंका है कि थोड़े दिन बाद ही यह जांच ठंडे बस्ते में चली जाएगी, क्योंकि भाजपा को अपनी बदनामी का डर अलग सताने लगा।
पूरे इंदौर शहर में नगर निगम के फर्जी बिल महाघोटाले की चर्चा है। हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसे भी मुद्दा इसलिए नहीं बना पाई क्योंकि उसका प्रत्याशी ही ऐन वक्त पर भगोड़ा साबित हो गया। वैसे भी कांग्रेस इस तरह के घोटालों या जनता से जुडड़े मुद्दों को आंदोलन की शक्ल देने या जोर-शोर से उठाने के मामले में हमेशा ही फिसड्डी रही है। निगम के इस महाघोटाले पर भी छुट-पुट विरोध ही कांग्रेस की ओर से नजर आया। अलबत्ता अखबारों में विज्ञप्तियां भेजकर जरूर कांग्रेस के नेता आरोप लगाते रहे। वो तो गनीमत है कि अग्रिबाण सहित इंदौर के स्थानीय समाचार-पत्र और मीडिया इस महाघोटाले से जुड़ी खबरों का प्रकाशन कर रहा है तो थोड़ी-बहुत जांच भी शुरू हुई और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर एसआईटी भी गठित की गई, जिसने 15 साल का रिकॉर्ड मांगा है। मगर सवाल यह है कि शासन आने वाले दिनों में इस घोटालेकी जांच के प्रति कितना गंभीर रहेगा, क्योंकि पिछले 20 सालों से इंदौर नगर निगम में भाजपा के पास ही सत्ता है। उसी के महापौर और सबसे अधिक पार्षद चुनाव जीतते आए हैं, जो इस महाघोटाले के उजागर होने के बाद खामोश बैठे हैं।
जबकि दूसरी तरफ दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर 100 करोड़ के शराब घोटाले का कथित आरोप है, जिसकी जांच पुलिस, सीबीआई, ईडी से लेकर तमाम बड़ी जांच एजेंसियां तो कर ही रही है, वहीं उसके कई मंत्रियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी जेल भेज दिया गया और देशभर में भाजपा ने इसका जोरदार हल्ला मचाया। न्यूज चैनलों, जो कि गोदी मीडिया कहलाते हैं उसने भी इस शराब घोटाले को लगातार प्रचारित-प्रसारित किया और भाजपा के आईटी सेल ने भी सोशल मीडिया पर हल्ला बोला। मगर उससे बड़ा घोटाला इंदौर निगम में हो गया, उस पर सुंई पटक सन्नाटा पसरा है। जनता भी खामोशी से इस पूरे महाघोटाले को देख-समझ रही है और उनका भी सवाल यह है कि छोटे-मोटे घोटालों की सीबीआई-ईडी जांच करने लगती है और इस महाघोटाले पर मोदी जी की सीबीआई और ईडी कहां छूपी है..?
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