भोपाल। भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में विकास को मुख्य मुद्दा बनाएगी। इसलिए सरकार का फोकस विकास योजनाओं पर है। इसी के तहत सरकार प्रदेश में ग्रामीण सड़कों का निर्माण कराने जा रही है। इसके लिए भाजपा विधायकों से एक बार फिर से उनके विधानसभा क्षेत्र में सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव मांगा गया है। पहली बार जब माननीयों से सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव मांगा गया था तो अधिकांश भाजपा विधायकों ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था। हालांकि इस बार भी कांग्रेस के विधायकों से प्रस्ताव नहीं मांगा गया है। सड़कों को विकास का प्रतीक माना जाता है। लेकिन मप्र के माननीयों पर विकास का भूत कुछ इस कदर सवाल हुआ है कि वे बिना सोचे-समझे सड़क निर्माण की घोषणा कर देते हैं। यही नहीं सड़कों के निर्माण के लिए वे सरकार पर दबाव बनाते हैं। इस साल अधोसंरचनात्मक विकास पर विशेष फोकस किया गया है। इसीलिए अकेले निर्माण के नाम पर 48,800 करोड़ का बजट अनुमान रखा गया है जो वर्ष 2022-23 में पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।
2200 किमी सड़कें और 21 पुल के प्रस्ताव
प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने एक बार फिर भाजपा विधायकों से अपने क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड़ तक के प्रस्ताव मांगे हैं। अधिकांश माननीयों ने अपने प्रस्ताव भेज भी दिए हैं। इसके पहले भी 20 करोड़ तक के प्रपोजल लिए गए थे। इनमें 2,200 किलोमीटर तक की सड़कें और 21 बड़े पुल राज्य बजट में शामिल हुए हैं। वहीं कांग्रेस विधायकों ने विकास के नाम पर सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। भाजपा सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में विधायकों के क्षेत्रीय कामों को शामिल करने के लिए 20 करोड़ रुपए की लागत तक के प्रस्ताव मांगे थे। जिन विधायकों के काम बजट में शामिल नहीं हुए थे उन्हें अनुपूरक बजट में शामिल करने का भरोसा मिला था। जानकारी सामने आई है कि कई विधायकों के अनुपूरक बजट में भी प्रस्ताव मंजूर नहीं हुए है। वर्ष 22-23 के बजट में लगभग 2,200 किलोमीटर नई सड़क निर्माण, 21 वृहद पुल, 88 लघु सिंचाई परियोजनाएं, 6 मध्यम सिंचाई परियोजनाएं और 3 वृहद सिंचाई योजनाएं शामिल की गई हैं। इनमें कई विधायकों के प्रस्ताव मंजूर नहीं होने से निराशा हाथ लगी है।
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