- कमीशनखोरी के चक्कर में गुणवत्ता समाप्त हो गई निगम में
उज्जैन। करोड़ों रुपए खर्च करके नगर निगम कायाकल्प योजना के अंतर्गत शहर की सड़कों को सुंदर बनाने की कवायद कर रहा है लेकिन जो सड़कें पहले बनी है वह थोड़ी सी बारिश में ही उखडऩे लगी है। कायाकल्प योजना के अंतर्गत आगर रोड और दशहरा मैदान तथा अन्य कई क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया गया। इन सड़कों में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया। इसी के चलते दशहरा मैदान की संजीवनी हॉस्पिटल से लेकर साहित्यकार सरल जी की प्रतिमा के तिराहे तक की सड़क थोड़ी सी बारिश में ही छलनी हो गई है। इस सड़क की बारिक चूरी सड़क पर बिखर गई है और मिट्टी भी बाहर आ गई है। अब जब यहाँ से वाहन गुजरते हैं तो धूल उड़ रही है और गड्ढे और गहरे हो रहे हैं।
पहले की तरह ही यह सड़क होने लगी है। इसके अलावा चरक अस्पताल के सामने की सड़क के भी यही हाल हो रहे हैं। यदि एक-दो दिन और बारिश हुई तो इन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो जाएँगे। उज्जैन में सड़क बनाने के लिए स्थानीय ठेकेदार नहीं है। इसलिए अंधों में काना राजा की कहावत पर मात्र एक ठेकेदार ही सड़क बनाने का काम करता है और वह अपनी मर्जी से सड़क बनाता है, क्योंकि नगर निगम भुगतान भी बहुत देरी से देती है। इसलिए नगर निगम के अधिकारी भी मान मनुहार कर इस ठेकेदार से सड़क बनवाते हैं। इसलिए इस पर कार्रवाई करने के मूड में नहीं रहते। अब देखना यह है कि इन उखड़ी हुई सड़कों को परफारमेंस गारंटी के नियम के अनुसार सुधरवाया जाएगा या फिर से बारिश के बाद इन सड़कों को बनाने के लिए ठेकेदार को डबल भुगतान किया जाएगा।