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    शरीर में कोरोना संक्रमण का दुष्प्रभाव बढ़ा सकता है खतरा

  • July 26, 2022

    • लक्षण मिलने पर कोविड टेस्ट जरूर कराएं

    भोपाल। कोरोना संक्रमण को सामान्य मौसमी बीमारी समझ बिना कोविड टेस्ट व प्रोटोकॉल के उपचार लेना भविष्य में स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ सकता है। दरअसल ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें संक्रमित ने तबीयत खराब होने पर बिना कोविड टेस्ट करवाए बुखार नियंत्रित करने वाली दवाई ले ली। इससे उस समय तो मरीज का बुखार उतर गया लेकिन कुछ दिन बाद पेट दर्द, दस्त आदि स्वास्थ्य समस्या हो गई। ऐसी स्थिति में कोरोन संक्रमण शरीर से पूरी तरह खत्म नहीं होता और लीवर, लंग्स या अन्य अंग को प्रभावित कर सकता है।
    वर्तमान में अधिकांश परिवार में कोई न कोई सदस्य बीमार है लेकिन प्रतिदिन कोविड टेस्ट की संख्या काफी कम है। मसलन सर्दी-जुखाम, बुखार, सीरदर्द आदि कोरोना से मिलते लक्षणों के बावजूद अधिकांश लोग कोविड टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। इनमें से कई तो चिकित्सक की सलाह के बिना ही सामान्य बुखार में खाई जाने वाली दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनका बुखार तो उतर रहा है लेकिन यदि वे कोविड संक्रमित हैं तो, इतना उपचार उनके स्वास्थ्य के पर्याप्त नहीं होता। कोविड टेस्ट नहीं होने के कारण संक्रमण को लेकर पुष्टी नहीं हो पाती है और बुखार नियंत्रित होने से मरीज भी बेफिक्र हो रहे हैं। यह स्थिति मरीजों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।


    घातक हो सकती है बीमारी
    वर्तमान में कई मामले सामने आए हैं जिसमें मरीजों ने टेस्ट करवाए बिना बुखार नियंत्रण की दवाई ली और स्वस्थ लगने के तीन-चार दिन उन्हें फिर स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो गई। इनमें पेट दर्द, दस्त, कमजोरी आदि शामिल है। चिकित्सकों के अुनसार संक्रमित मरीज का जब तक कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार नहीं होता, संक्रमण के शरीर में से पूरी तरह समाप्त होने की संभावना कम रहती है। इसलिए स्वास्थ्य खराब होने पर जरूरी है कि डॉक्टर्स से परामर्श लें और कोविड टेस्ट करवाए। यदि रिपोर्ट पॉलिटिव आती भी है तो कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार आसानी से उसका उपचार किया जासकेगा जिससे भविष्य में शरीर में साइड इफैक्ट की आशंका काफी कम हो जाएगी।

    घातक है बिना कोरोना प्रोटोकॉल से उपचार
    सामान्य रूप से कोरोना व मौसमी बीमारी के लक्षणस समान ही होते हैं। कोरोना है या नहीं, इसकी पुष्टी टेस्ट से ही हो पाती है। मरीज यदि टेस्ट नहीं करवाते और मौसमी बीमारी समझ सामान्य उपचार लेते हैं तो संक्रमण का सही तरीके से उपचार नहीं हो पाता है। दवाइयों से तत्कालीन राहत भले ही मिल जाए लेकिन कुछ दिन में संक्रमण से फिर शरीर में परेशानी हो सकती है। संभव है कि तब जांच में कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आए लेकिन संक्रमण शरीर में रहकर अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसका असर एक-दो महीने बाद भी सामने आ सकता है। यदि मरीज पहले ही कोविड टेस्ट करवा लेता है और रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो फिर कोरोना प्रोटोकॉल से उसका उपचार होता है। इससे संक्रमण के शरीर में रहने का खतरा नहीं होता।

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