धार। मध्यप्रदेश के धार जिले (Dhar district of Madhya Pradesh) में टूटे कारम डैम (karam dam) के बचे काम का जिम्मा फिर उसी कंपनी को सौपा गया है, जिसकी लापरवाही के कारण हजारों लोगों की जान पर बन आई थी। बांध को तोड़कर सरकार को पानी बहाना पड़ा था। जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) ने डैम के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी और एएनएस कंपनी से बचा काम करने को कहा है। विभाग इसके पीछे तर्क दे रहा है कि बांध का काम जिस कंपनी को दिया गया है, उसे पूरा करना होगा। जानकारों का कहना है कि कंपनी पर अफसरों ने मेहरबानी दिखाई और काम अधूरा होने के बावजूद 90 प्रतिशत तक भुगतान कंपनी को कर दिया था। बांध टूटा तो यह पोल खुल गई। अब यदि उस कंपनी से बचा काम नहीं कराया जाता तो अफसर कंपनी को लाभ पहुंचाने के मामले में फंस सकते थे। कंपनी ने ज्यादा भुगतान लेकर भी काम समय पर पूरा नहीं किया और वर्षाकाल में डैम में दरार आने के कारण उसके फूटने का खतरा पैदा हो गया था।
जल संसाधन विभाग 300 करोड़ रुपये की लागत से कारम डैम बनवाया था। काम समय पर नहीं हुआ। बांध में गेट भी नहीं लगाए गए। अफसरों ने मैदानी स्थिति देखे बगैर वर्षाकाल में बांध भरने की अनुमति दे डाली। जल संग्रहण का दबाव बांध की दीवार सह नहीं सकी और उसके टूटने का खतरा पैदा हो गया। बाद में अफसरों ने बांध के एक हिस्से में कट लगाकर बांध खाली कराया।
बांध टूटने का खतरा होने के बाद सरकार हरकत में आई और बांध की डाउन स्ट्रीम के 15 गांवों को खाली कराया गया। इसके अलावा एबी रोड का ट्रैफिक भी घंटों तक रोका गया था। लापरवाही पाए जाने पर जल संसाधन विभाग ने आठ इंजीनियरों को निलंबित कर दिया था। अब ठेकेदार कंपनी फिर बचा काम करने के लिए कहा जा रहा है।
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि कंपनी ने कारम बांध का ठेका लिया था। बचा काम तो उसे ही करना होगा। हम अफसरों की एक कमेटी बनाकर निर्माण की निगरानी कराएंगे। बांध का काम समय पर पूरा कराएंगे। वहीं, जल संसाधन विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ एमएस डाबर ने कहा कि कंपनी से हमने वर्क प्लान मांगा है। बांध का बचा काम हम पूरा कराएंगे। बांध को लेकर जितने अफसरों ने लापरवाही बरती। उसके खिलाफ विभाग पहले ही सख्त कदम उठा चुका है।
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