इंदौर। रेसीडेंसी एरिया का सर्वे प्रशासन द्वारा बीते कई समय से करवाया जा रहा है और एक हजार से अधिक नोटिसों को भी नगर निगम की सहायता से तामील करवाया। बावजूद इसके 50 फीसदी ने ही अपने मालिकाना हक के दस्तावेज सौंपे हैं। दूसरी तरफ रेसीडेंसी एरिया में 1030 एकड़ जमीन शामिल बताई जाती रही, मगर बाद में सर्वे के दौरान यह लगभग 731 एकड़ ही निकली। इसका एक कारण यह भी सामने आया कि डेली कॉलेज की लगभग 120 एकड़ से अधिक की जमीन के साथ-साथ छावनी एरिया की जमीनों को भी इसमें शामिल मान लिया था, जिसके चलते लगभग 300 एकड़ जमीन अब कम हो गई है। आज कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा अनसर्वर्ड एरिया में अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा भी की जाएगी।
अग्रिबाण द्वारा लगातार रेसीडेंसी एरिया की जमीनों में हुई गड़बडिय़ों को उजागर किया गया तो चल रहे सर्वे के संबंध में भी खुलासे किए गए। दरअसल, रेसीडेंसी एरिया 1030 एकड़ का माना जाता रहा है, मगर अभी सर्वे के दौरान लगभग 300 एकड़ जमीन कम हो गई। दरअसल, ड्रोन सर्वे के बाद पूरे क्षेत्र के नक्शे भी तैयार किए गए और फिर उसके आधार पर नोटिस भी जारी किए गए। हालांकि इसकी भी समयसीमा बढ़ाना पड़ी, क्योंकि अधिकांश काबिज लोगों, रहवासियों और अन्य प्रतिष्ठानों ने जवाब ही नहीं दिए, जिसमें प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं दिए गए तो उन जमीनों को सरकारी घोषित कर दिया जाएगा। कल अपर कलेक्टर सपना लोवंशी ने अभी तक किए गए सर्वे को लेकर राजस्व अमले की बैठक बुलाई। लोवंशी का भी कहना है कि डेली कॉलेज और छावनी क्षेत्र को शामिल करने के कारण रेसीडेंसी एरिया को 1030 एकड़ का मान लिया गया। मगर अभी जो सर्वे और उसके आधार पर दस्तावेजों की जांच की गई तो उसमें वर्तमान में 730 एकड़ के आसपास एरिया मिल रहा है।
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