नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश (UP) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri) में पिछले वर्ष आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की कार से कुचले गए किसानों (Deceased Farmers) के परिजनों (Relatives) ने मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत (Bail) को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में चुनौती दी है (Challenged) । आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि किसानों के परिजनों को शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि राज्य सरकार आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अपील याचिका दायर करने में विफल रही है। इसमें तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय ने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना और आरोप पत्र में आशीष के खिलाफ भारी सबूतों को देखते हुए भी जमानत दी। याचिका में तर्क दिया गया कि आरोपी द्वारा गवाहों को प्रभावित करने और न्याय में बाधा उत्पन्न करने की आशंका है।
पिछले हफ्ते अधिवक्ता सीएस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने मिश्रा की जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा जमानत दिए जाने के बाद आशीष मिश्रा को जेल से रिहा किया गया था। उनके वकीलों ने उनके जमानत आदेशों के संबंध में तीन-तीन लाख रुपये के दो जमानती बांड जमा किए थे।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में लखीमपुर खीरी हिंसा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था। उच्चतम न्यायालय ने घटना की जांच कर रही एसआईटी का पुनर्गठन भी किया और आईपीएस अधिकारी एस.बी. शिराडकर को इसका प्रमुख बनाया गया था।
अधिवक्ताओं द्वारा दायर याचिका में कहा गया है “आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जमानत मिलने और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश जैन द्वारा केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा से पूछताछ न करने का कुल परिणाम लखीमपुर स्थानीय क्षेत्र और राज्य के अन्य हिस्सों से आने वाले कानून का पालन करने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के मनोबल को निश्वित तौर पर प्रभावित करता है। ”
इस मामले में आशीष मिश्रा को पिछले साल नौ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। गौरतलब है कि तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।
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