उज्जैन। महाकाल मंदिर में बिकने वाले चांदी के सिक्कों की बिक्री एकदम से घट गई है। यह बात मंदिर के अधिकारियों को भी समझ में नहीं आ रही है कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो चांदी के सिक्कों की बिक्री अचानक कम हो गई है। बताया गया है कि करीब एक माह से सिक्कों की बिक्री पांच प्रतिशत से भी कम है, इसलिए इस कारण लागत भी निकल नही रही और किसी न किसी रूप से मंदिर की आय भी प्रभावित हुर्ई है। संभवत: इसी घाटे की पूर्ति करने के लिए लड्डू प्रसादी के भाव बढ़ाए गए हैं। मंदिर के अधिकारियों की यदि माने तो चांदी के सिक्के काउंटर पर ऐसे के ऐसे ही पड़े रहते है और यहां बैठे कर्मचारी श्रद्धालुओं से सिक्के खरीदने के लिए निवेदन भी करते हुए देखे जा सकते हैं। मंदिर में फिलहाल एक ही काउंटर पर चांदी के सिक्के बेचे जाते है और इनका भाव 1100 रुपए है।
लागत मूल्य से कम राशि
इधर मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने यह दावा किया है कि मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आगन्तुक श्रद्धालुओं को लागत मूल्य पर बगैर किसी लाभ-हानि के लड्डू प्रसाद उपलब्ध कराया जाता है। लड्डू प्रसाद की वर्तमान लागत की गणना की गई जिसमें वर्तमान मूल्य पर लड्डू प्रसाद उपलब्ध कराने में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को लागत मूल्य से कम राशि प्राप्त हो रही है। अत: श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीष सिंह के दिशा-निर्देशन में लागत गणना के आधार पर श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराये जाने वाले लड्डू प्रसाद की नवीन दरें निर्धारित की हैं।
लड्डू प्रसादी की परिवर्तित दर
क्रमश: 100 ग्राम लड्डू प्रसाद पैकेट ( 2 नग) 35 रुपये प्रति पैकेट, 200 ग्राम लड्डू प्रसाद पैकेट (4 नग ) 70 रुपये प्रति पैकेट, 500 ग्राम लड्डू प्रसाद पैकेट 150 रुपये प्रति पैकेट, 1 किलो ग्राम लड्डू प्रसाद पैकेट 300 रुपये प्रति पैकेट से मिलेंगे।
लड्डू की खपत हो सकती है सौ क्विंटल तक
इधर मंदिर सूत्रों से जानकारी मिली है कि लड्डू प्रसादी की खपत सौ क्विंटल तक हर दिन ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। लिहाजा अभी जो प्रसादी के पैकेट सीमित मात्रा में श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं, यह सीमित संख्या का प्रतिबंध हटा दिया जाएगा। बताया गया है कि मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को यह महसूस हो रहा है कि चांदी के सिक्कों से नहीं बल्कि आने वाले दिनों में प्रसादी ही एक मात्र ऐसा साधन है जो मंदिर की आय में ओर अधिक बढ़ोत्तरी कर सकता है। इसलिए इसकी बिक्री और अधिक बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। सामान्य दिनों में 25, रविवार-सोमवार 40 क्विंटल तक मंदिर अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लड्डू प्रसादी की खपत सामान्य दिनों में करीब बीस से पच्चीस क्विंटल तक हो जाती है जबकि शनिवार शाम से लेकर रविवार और सोमवार यही खपत 40 क्विंटल तक पहुंच जाती है। अब यही खपत रविवार व सोमवार के दिन सौ क्विंटल तक करने पर जोर दिया जा रहा है। 25 दिसंबर से मंदिर में ओर अधिक भीड़ बढ़ेगी क्योंकि अवकाश है, वहीं नये वर्ष में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। इसे देखते हुए प्रसादी की बिक्री भी अधिक ही होगी।
इनका कहना है
सिक्कों की बिक्री में कमी देखी जा रही है। इस मामले में आगे क्या हो सकता है, विचार किया जाएगा। लड्डू प्रसादी के भाव दो सालों में बढ़ाए गए है। नो प्रॉफिट नोलॉस में ही प्रसादी की बिक्री की जा रही है।
मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासक
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