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कलेक्टरों के बेतुकी फरमानों से चकरघिन्नी हुई जनता

May 02, 2021

  • किसी ने पंप बंद किए, किसी ने घर तो किसी ने जिले की सीमा सील की

भोपाल। प्राकृतिक आपदा, महामारी एवं आपातकाल की स्थिति में कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) लगाने जैसे अधिकार कलेक्टरों के पास ही है। एक पखवाड़े पहले तक मंत्रालय से आए दिन फरमान जारी हो रहे थे। जिसमें कलेक्टर चकरघिन्नी हो रहे थे। एक हफ्ते से मंत्रालय ने लॉकडाउन अथवा कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) को लेकर कोई फरमान जानी नहीं किया है। ऐसे में कलेक्टर (Collector) ही अपने-अपने जिलों में फरमान जारी कर रहे हैं। किसी कलेक्टर कलेक्टर (Collector) ने पेटोल पंप बंद कर दिए हैं। किसी ने घरों पर ताले लगवा दिए हैं तो किसी ने जिले की सीमा सील करा दी हैं। जिलों में चंद अफसरों द्वारा बंद कमरे में बैठकें कर लिए गए बेतुके फरमानों से जनता चकरघिन्नी हो रही है। लोग राशन-पानी के लिए भी तरशने लगे हैं।
राज्य शासन ने पिछले हफ्ते कलेक्टरों के लिए कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) को लेकर कॉमन आदेश जारी किया था। जिसमें अलग-अलग वर्ग को छूट देने का प्रावधान था। बाद में सरकार ने कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) से जुड़ा फैसले लेने के पूरे अधिकार कलेक्टरों को सौंप दिए। जिले में किसे छूट देना है किसे नहीं यह कलेक्टर तय कर रहे हैं। इस बीच प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों के कलेक्टरों ने ऐसे फरमान जारी किए हैं, जिससे गांव एवं शहर की जनता बेहद परेशान हो रही है।

  • भोपाल: कोरोना संक्रमण से बिगड़े हालात से निपटने के लिए कोई पूर्व तैयारी नहीं थी। प्रशासन का पूरा ध्यान अस्पताल, दवा और इंजेक्शन पर है। जबकि खाने-पीने के सामान की आपूर्ति लगभग ठप सी है। प्रशासन ने तीन दिन किराना दुकान खुलने और सप्लाई की मंजूरी दी है। इस वजह से सप्लाई ठप है। स्थिति बिगड़ी तो प्रशासन ने आनन-फानन में कुछ दुकानदारों के ऑनलाइन सप्लाई के लिए नंबर जारी किए हैं। जबकि पिछले साल भोपाल जिला प्रशासन अच्छा खासा प्लान तैयार कर चुका है। सब्जी से लेकर दूध, किराना की बेहतर सप्लाई का प्लान था, लेकिन प्रशासन के मौजूदा अफसरों ने पिछले साल का प्लान देखा ही नहीं। कई क्षेत्रों के लोगों को आवागमन की छूट है। इसके बावजूद भी राजधानी के प्रमुख रास्तों, चौराहों को बंद कर रखा है।
  • रायसेन: राजधानी के सीमावर्ती जिले रायसेन में भी कोरोना संक्रमण बेकाबू है। कलेक्टर ने जिले की सीमा सील करने के आदेश दिए हैं। जबकि सागर संभाग के लिए रायसेन होकर ही प्रमुख मार्ग है। बेवजह लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। जबकि दूसरे रास्तों से लोगों का आना-जाना अनवरत जारी है।
  • शिवपुरी: शिवपुरी जिले में हर साल जल पेयजल संकट की स्थिति रहती है। खासकर शिवपुरी नगर पालिका क्षेत्र में मार्च से लेकर जुलाई तक शहर की जल आपूर्ति टेंकरों पर ही निर्भर है। ऐसे में कलेक्टर ने पेट्रोल पंप 7 मई तक बंद करने का फरमान जारी किया है। कलेक्टर के इस आदेश का विरोध हो रहा है। कलेक्टर ने व्यवस्था दी है कि डीजल, पेट्रोल के लिए तहसीलदार, एसडीएम से अनुमति लेनी होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि किसी को इमरजेंसी में अस्पताल या दूसरे शहर में जाना पड़े तो फिर डीजल के लिए एसडीएम को कहां तलाशेेंगे। साथ ही डीजल नहीं मिलेगा तो फिर टेंकरों के जरिए जलापूर्ति कैसे होगी। शिवपुरी में ज्यादातर जलापूर्ति प्रायवेट टेंकरों के जरिए होती है।
  • निवाड़ी: निवाड़ी कलेक्टर ने दो दिन पहले शहर के ऐसे वार्ड जिनमें ज्यादा संख्या में कोरोना के मरीज पाए गए। उन वार्डों के कोरोना संक्रमितों के घरों के बाहर ताले लगवा दिए थे। जिससे लोग बाहर निकलकर संक्रमण न फैलाएं। जब कलेक्टर के इस बेतुके फरमान का सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हुआ तो कलेक्टर ने आनन-फानन में ताले खुलवाए।

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