नई दिल्ली। भारत में खाने-पीने की चीजों से लेकर इलेक्ट्रिक उपकरणों और कपड़ों तक पर महंगाई की मार पड़ी है। आने वाले समय में भी इस महंगाई से लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि देश की जनता को महंगाई और बढ़ने का डर सता रहा है।
मुद्रास्फीति को लेकर लोगों को यह उम्मीद
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अक्तूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारतीय परिवार निकट और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति के और सख्त होने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, इस बीच हुए एक अन्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि नवंबर में उपभोक्ता विश्वास जुलाई 2021 में देखे गए ऐतिहासिक निम्न स्तर से अपनी वृद्धि के रुख को बनाए हुए है।
आरबीआई के सर्वेक्षण में सामने आया कि नवंबर 2021 के लिए परिवारों की औसत मुद्रास्फीति की धारणा 20 आधार अंकों की वृद्धि के साथ 10.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि अगले तीन महीने और एक वर्ष के लिए औसत मुद्रास्फीति की संभावना में क्रमशः 150 और 170 आधार अंकों की वृद्धि हुई।
5000 से ज्यादा परिवारों की प्रतिक्रियाएं लीं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से अक्तूबर के अंत और नवंबर माह की शुरुआत में कराए गए इस द्विमासिक सर्वेक्षण में जो बड़ी बात सामने आई है वो यह कि लोगों में महंगाई कम होने की उम्मीद कम है। यह सर्वेक्षण 25 अक्तूबर से 3 नवंबर के बीच 18 प्रमुख शहरों में आयोजित किया गया था। इस दौरान इन शहरों में रहने वाले लगभग 5,910 परिवारों की प्रतिक्रियाएं ली गईं। इनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना और तिरुवनंतपुरम में निवासरत परिवार शामिल हैं।
उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद करने वाले बढ़े
सर्वेक्षण से पता चलता है कि उत्तरदाताओं का अनुपात जो अगले तीन महीनों में और आने वाले वर्ष में उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद कर रहे हैं, नवंबर महीने में और भी बढ़ गया है। परिवारों की ये राय ऐसे समय में है जबकि पेट्रोल और डीजल और अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल पर घरेलू उत्पाद शुल्क में कटौती की जा चुकी है, इसके बावजूद भी परिवारों की भावनाओं में मंहगाई को लेकर धारणाओं में बदलाव नहीं दिखा है।
सीएसआई में इजाफा दर्ज हुआ
मौजूदा स्थिति सूचकांक (CSI) नवंबर 2021 में बढ़कर 62.3 हो गया, जो पिछले सर्वेक्षण दौर में 57.7 था। सर्वेक्षण से पता चलता है कि सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार परिदृश्य और घरेलू आय की धारणा ने सुधार के संकेत प्रदर्शित किए। हालांकि, सर्वे में परिवारों ने समग्र व्यय में वृद्धि का अनुभव किया है क्योंकि आवश्यक वस्तुओं का व्यय लगातार बढ़ रहा है। वहीं गैर-जरूरी व्यय पर भावनाएं निराशावादी बनी हुई हैं और आने वाले वर्ष में सुधार को नहीं दर्शाती हैं।
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