इंदौर। राजनीतिक दल हो या कर्मचारी, व्यापारी, विद्यार्थी संगठन हो। बेरोजगार युवा हो या फिर हो सामाजिक संस्था। सबको अपनी मांग मनवाने के लिए सबसे मुफीद मुख्यमंत्री नजर आते हैं। वर्ष 2022 में इंदौर कलेक्टर को सौंपे गए 127 ज्ञापनों में सबसे अधिक (83) मुख्यमंत्री के नाम ही थे। दूसरे क्रम पर राष्ट्रपति (31) एवं तीसरे नंबर पर लोगों ने प्रधानमंत्री (13) के नाम ज्ञापन सौंपे हैं। हालांकि साल में अभी 12 दिन शेष हैं। इसलिए आंकड़ा 150 पार कर सकता है। चुनावी साल में मांगों का दौर शुरू हो जाता है। इसलिए नए साल में ज्ञापनों की संख्या दोगुना से अधिक होने की संभावना है। ज्ञापनों पर की गई अब तक की सबसे बड़ी पड़ताल में खुलासा हुआ है कि ज्ञापन सौंपना केवल खानापूर्ति नहीं है। जिम्मेदारों द्वारा इन पर कार्रवाई भी की जाती है।
कलेक्टर के वरिष्ठ लिपिक शाखा के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मुख्यमत्री को अपनी मांग, शिकायत, संदेश भेजने वाले आवेदकों का दौर चुनावी साल में सबसे ज्यादा हो जाता है, वहीं मार्च-अप्रैल में इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है। ज्ञापन के माध्यम से सबसे ज्यादा राजनीतिक पार्टियां अपना उल्लू सीधा करती हैं। आम नागरिकों के मुद्दे उठाकर वोट बैंक बढ़ाने के लिए भी दिखावे भरे ज्ञापन दिए जाते हैं। शैक्षणिक, सामाजिक, विभिन्न पुरस्कार, कृषि सहायता, जल संसाधन, चिकित्सकीय सहायता, धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों द्वारा समय-समय पर समस्याओं, आवश्यकताओं, विभिन्न मांगों एवं देश में हो रही विभिन्न प्रकार की घटनाओं के संबंध में दिए जाने वाले आवेदन, मांगपत्र, ज्ञापन लेकर लोग कलेक्टर आफिस पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचते है गंतव्य तक
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम दिए जाने वाले ज्ञापन संबंधित अधिकारी, कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदारों द्वारा स्वीकार किये जाते हैं, वहीं आवक खिडक़ी पर भी कुछ आवेदक मांग पत्र के रूप में ज्ञापन देते है। वरिष्ठ लेखा शाखा के माध्यम से इन्हें स्पीड पोस्ट के माध्यम से पहुंचा दिया जाता है। भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्ञापनों को मुख्यमंत्री खुद संज्ञान में लेते हैं और वाजिब मांगों पर कार्रवाई भी की जाती है।
कर्मचारियों की मांगें भी आईं पर नहीं हो रही सुनवाई
सरकारी कर्मचारी संघ भी मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय में मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम संदेशात्मक ज्ञापन देते रहते हैं। हाल ही में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मानदेय नहीं मिलने, योग्यता और काम के आधार पर मेहनताना नहीं दिए जाने का शिकायती ज्ञापन दिया था। हालांकि शिकायतों का निराकरण अधूरा ही हुआ, वही पेंशन समूह वर्ग ने भी ज्ञापन सौंपा है।
कुछ गुदगुदाने, तंज कसने वाले भी
राजनैतिक पार्टियों के हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले आवेदन भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। तंज कसने और बेतुकी मांग रखने वाले ज्ञापनों में पद्मश्री मांगने के भी मामले बहुतायत में आते हैं। खुद की तारीफ के पुलिन्दे बंधे आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
कृषि कॉलेज के छात्र छीन लाए अपना हक
कई मामले, जिनमें जो कृषि कॉलेज इंदौर जमीन के अधिग्रहण होने वाली कार्रवाई को लेकर चला आंदोलन और ज्ञापनों का दौर पॉजिटिव रिपोर्ट लेकर आया। कृषि कॉलेज के हाथों से जाने वाली जमीन बच गई, जिसके लिए सैकड़ों ज्ञापन कलेक्ट्रेट कार्यालय में विभिन्न विभिन्न समय पर दिए गए। कई ज्ञापन स्वयं मुख्यमंत्री को भी दिए गए, वहीं दूसरे मामले में पीएससी की परीक्षा की लेटलतीफी के बाद उम्र निकल जाने का हवाला देकर आवेदकों द्वारा दिए गए ज्ञापन की मुहिम रंग लाई और 40 की उम्र पार कर चुके छात्रों को पीएससी की परीक्षा देने का मौका मिला। उनकी 3 साल की उम्र में इजाफा किया गया।
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