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    जनता नहीं जागीर हो गई… लडेंगे तो हम लड़ेंगे नहीं तो बिकेंगे या बगावत करेंगे

  • October 18, 2023

    टिकट नहीं हो गया जागीर हो गई… लड़ेंगे तो हम ही लड़ेंगे… वरना बगावत करेंगे… भले ही वजूद मिट गया हो… जनता नकार चुकी हो… लगातार हार रहे हों या उम्रदराज हो चुके हों… पार्टी पर बोझ बन चुके हों… फिर भी पार्टी उन्हें ढोती रहे और वो बेशर्मों की तरह चुनाव में अपना चेहरे लेकर जनता को चिढ़ाएं और फिर एक बार हारने और पूरे दल का अस्तित्व मिटाने के लिए खुद को आजमाएं… ऐसे ही निठल्ले टिकट नहीं मिलने पर प्रदेशभर में कोहराम मचा रहे हैं… चंद लंपट समर्थकों को लेकर हंगामा मचा रहे हैं… पार्टी पर दबाव बना रहे हैं और हुड़दंगियों की भीड़ को खुद की ताकत बता रहे हैं… पार्टी को धमका रहे हैं कि टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय खड़े हो जाएंगे…दूसरे दल में चले जाएंगे…चुने हुए उम्मीदवार को हराएंगे…ऐसे पद के लोभी और अवसर के रोगियों का पूरे प्रदेश में आतंक नजर आ रहा है…कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी, दोनों दलों को अपनों का डर सता रहा है…हर दल डैमेज कंट्रोल के लिए नेताओं का दल बना रहा है, जो ऐसे लालचियों के पास जाएंगे… उन्हें मनाएंगे… आश्वासन के टोकरे थमाएंगे… कुछ मान जाएंगे… कुछ मनमानी पर उतर आएंगे… एक का दामन छोड़ेंगे, दूसरे से नाता जोड़ेंगे… जबकि हकीकत यह है कि ऐसे नेता क्या जनता से वफा करेंगे, जो जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद पर आमादा हो जाते हैं…जो अपनों से वफा निभा नहीं पाते हैं…कुर्सी के लालच में गद्दारी पर उतर आते हैं…पैसों के लिए बिक जाते हैं…जीतने के बाद दलबदल कर पद पाते हैं…इलाके को अपनी जागीर मानते हैं…जनता के विश्वास का सौदा करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं…राजनीति कभी सेवा हुआ करती थी, अब सौदा हुआ करती है…राजनीति कभी सिद्धांत और स्वाभिमान हुआ करती थी, अब आतंक और अभिमान होती है… राजनीति कभी सर झुकाकर की जाती थी, अब सर काटकर, लहू बहाकर, लोगों को लड़ाकर की जाती है… राजनीति कभी देश में एकता के काम आती थी, अब वर्गभेद, जातिभेद, धर्म, मजहब, संप्रदाय को बांटकर की जाती है… हर दल शान और अभिमान से बताता है कि उसने कितने पिछड़े, कितने आदिवासी, कितने ब्राह्मणों, कितने ठाकुरों को टिकट दिए…मकसद बदल गए…मुद््दे बदल गए…खैरातों के दौर चल गए…महंगाई बढ़ाते हैं… मुफ्त बांटकर दरियादिली दिखाते हैं… खजाना लुटाते हैं और खैरख्वाह बन जाते हैं… यही खजाना फिर कर बढ़ाकर वसूला जाता है…एक हाथ से दिया हुआ दूसरे हाथ से छीन लिया जाता है…सत्ता का यह चक्र किसी की समझ में नहीं आता है… हकीकत तो यह है कि कोई समझना ही नहीं चाहता है…नेता इलाके को जागीर मानते हैं और दल देश और प्रदेश पर सल्तनत चलाते हैं…नेता टिकट झपटना चाहते हैं और दल सत्ता हड़पना चाहते हैं…इनके खेल और चेहरे तो केवल चुनाव में नजर आते हैं…फिर वो सरकार कहलाते हैं और हम गुलाम बन जाते हैं…बस अब हमें यह तय करना है कि हम सरकार किसे बनाएं और सर किसके आगे झुकाएं…पुरानों को दोहराएं या नयों को आजमाएं…

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    Madhya Pradesh Assembly Elections : उज्जैन में प्रचार के दौरान बांटा आटा-दाल, मामला दर्ज

    Wed Oct 18 , 2023
    उज्जैन (ujjain)। मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) का प्रचार-प्रसार जोर पकड़ने लगा। यही कारणा है कि प्रत्‍याशी अपने समर्थन में जनता को किस तरह लुभा सकती है यह पूरी ताकत लगाने में भी लग गए हैं। उज्जैन की हाई प्रोफाइल दक्षिण विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी भी घोषित नहीं किया […]
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