जयपुर। कल राज्यपाल द्वारा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव से इनकार किए जाने के बाद रात साढ़े 12 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कैबिनेट बैठक बुलाकर विधिवत तरीके से विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव पारित किया गया जिसे अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा।
राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा कोरोना संकट का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार करते हुए कहा गया था कि सरकार द्वारा अधूरा प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने सरकार से 6 प्रश्न पूछते हुए प्रस्ताव के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक बुलाई जिसमें कोरोना काल से निपटने के लिए सत्र बुलाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। अब यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा। कल रात की बैठक के बाद आज दोपहर फिर कैबिनेट बैठक बुलाई है।
पायलट खेमा बोला-न हमें भाजपा ने रोका न बीमार, न ही किसी के दबाव में, न जयपुर आने के लिए तड़प रहे
मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्यपाल की सुरक्षा एवं राजभवन का जनता द्वारा घेराव करने की धमकी देते हुए कहा था कि हरियाणा के मानेसर में भाजपा की खट्टर सरकार के कड़े पहरे में होटल में मौजूद बागी सचिन पायलट खेमे के कई समर्थक विधायक अब जयपुर लौटने के लिए तड़प रहे हैं। गहलोत के इस बयान पर पायलट समर्थक खेमा भी सामने आ गया और गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि न हमें किसी ने बंधक बनाया, न भाजपा ने रोका, न ही हम बीमार हैं, न ही किसी के दबाव में हैं और न ही जयपुर आने के लिए तड़प रहे हैं। हम यहां अपनी मर्जी से हैं।
इसलिए जल्दी है सत्र की
शक्ति परीक्षण के पहले कुछ और विधायकों के पार्टी छोडऩे का डर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसलिए शक्ति परीक्षण करना चाहते हैं कि उन्हें डर है कि हाईकोर्ट द्वारा सचिन पायलट गुट को मिली राहत के बाद कुछ और विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। उनका मानना है कि वे जितनी जल्दी शक्ति परीक्षण कर यह सिद्ध कर दें कि उनके पास पर्याप्त बहुमत है तो उनकी स्थिति और ज्यादा मजबूत होगी। अगर भाजपा कुछ और विधायक तोडऩे में सफल होती है तो सरकार बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा। पार्टी बिखर जाएगी और इसका भी हाल मध्यप्रदेश की तरह हो जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर के नोटिस को खारिज कर पहले ही सरकार को झटका दे रखा है।
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