कलेक्टर ने कहा- प्रोजेक्ट मंजूरी के बाद ही लेंगे जमीन
इंदौर। शहर के चारों तरफ नए बायपास (ग्रेटर रिंग रोड) के निर्माण को लेकर कलेक्टर इलैया राजा टी. ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल इंदौर की नई रिंग रोड (Indore Ring Road) का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार (Central Govt.) से मंजूर नहीं हुआ है। इसलिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने का सवाल ही नहीं उठता।
कलेक्टर ने अग्निबाण को बताया कि नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने नई रिंग रोड के लिए जून में जो पत्र लिखा है, वह महज प्रक्रिया का हिस्सा है। संबंधित क्षेत्रों के अलग-अलग एसडीएम के जरिए भू-अर्जन की कार्रवाई प्रोजेक्ट मंजूर होने के बाद की जाएगी। इसके बाद एनएचएआई को जो फंड मिलेगा, उससे जमीन अधिग्रहण की जाएगी।
ग्रेटर रिंग रोड की चौड़ाई भी मुख्यालय तय करेगा
एनएचएआई ने केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को इंदौर का ग्रेटर रिंग रोड प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए भेजा है। इसकी चौड़ाई भी अंतिम रूप से मुख्यालय ही तय करेगा। इसे चार या छह लेन बनाने का प्रस्ताव है। 140 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 6000 करोड़ रुपए आंकी गई है। चौड़ाई घटने-बढऩे से लागत में भी अंतर आएगा। ग्रेटर रिंग रोड शिप्रा गांव से शुरू होगा और चारों तरफ बनने के बाद फिर शिप्रा पर ही आकर मिलेगा। सडक़ निर्माण के लिए इंदौर जिले की देपालपुर, हातोद, कनाडिय़ा, इंदौर, खुड़ैल, महू और सांवेर तहसीलों की जमीनें ली जाना हैं।
नीति तय होना बाकी
मप्र सरकार ने इंदौर की ग्रेटर रिंग रोड के लिए 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने का ऑफर केंद्र को दिया है। हालांकि, केंद्र अभी शहरों को रिंग रोडों को लेकर नई नीति बनाने पर विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि जब तक नीति अस्तित्व में नहीं आएगी, तब तक इंदौर का प्रोजेक्ट मंजूर होना मुश्किल है। संभव है कि नई नीति में राज्य सरकार को रिंग रोड के लिए ज्यादा जमीन मुफ्त देने की शर्त जोड़ दी जाए।
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