आष्टा। श्री पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आज की शुरुआत श्री जी के अभिषेक शांतिधारा के साथ हुई आज शांतिधारा का सौभाग्य सुरेंद्र पीयूष जैन ;सदासुखि परिवारद्ध को प्राप्त हुआ तत्पश्चात वो अपूर्व अवसर आया जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था।
नियत समय पर देव दुंदुभी के गगन भेदी जयकारों के साथ बालक नेमिकुमार का जन्म हुआ शोरीपुर नगरी में खुशियां छाई अपार जन समुदाय के बीच पूज्य महाराज मुनि सागर ने की बालक नेमिकुमार के जन्म की घोषणा की स पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया क्या बच्चे क्या बूढे सभी जन्मोत्सव की भक्ति में झूम रहे थे प्रतिष्ठाचर्या विमल कुमार ने तीर्थंकर बालक नेमिकुमार के जन्म के दस अतिशय के बारे में वर्णन किया तीर्थंकर बालक अदभुत रूपवान सुगन्धित शरीरी होते है, वे 1008 शुभ लक्षण से सुशोभित होते है अतुल वीर्य के धारी होते है, बलवान होते है हित मित प्रिय वचन के धारी होते है। इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव भूतबलि सागर महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि जहाँ दया है वहा धर्म है जहां धर्म है वहां आत्मा का कल्याण होता है, हम सभी अनादि काल से संसार चक्रमें घूम रहे है पर एक स्थायी ठिकाना नहीं मिला अनमोल जैन धर्म मे जन्म मिला है, इसे सार्थक कर लो हमारे सांसद ने रात्रि भोजन का त्याग किया। उन्होंने महान पुण्य का बन्ध किया है यह जन्म से नहीं तो क्या हुआ कर्म से जैनी हैए सच्चे जैनी के यही लक्षण होते हैए आप भी नर से नारायण बन सकते हो आप हम सभी मे इतनी शक्ति है कि हम भी भगवान बन सकते है बस अपनी चेतना को जाग्रत करना पड़ेगा यह पंचकल्याणक आया है इसका लाभ ले लो नेमिकुमार जैसे अपने जीवन को बना लो मोक्ष मार्ग को प्रकट कर लो भगवान महावीर भी पिछली पर्याय में सिंह पर्याय में थे
वहां से उन्होंने कर्मो का नाश करते करते कई पर्याय में जन्म लिया था उन्होंने सोलहकारण भावनाओ को भा कर के तीर्थंकर प्रकति का बन्ध कर अपना जन्म मृत्यु का क्षय कर अपना कल्याण किया ।
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