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    सरकारी जमीनों को बेचने की प्रक्रिया तेज, नई जमीनों की भी ढुंढाई

  • July 20, 2022

    कृषि विभाग, रोडवेज, नजूल सहित सभी विभागों की बनाई जा रही है सूची, हुकमचंद मिल की जमीन में एमपीएसआईडीसी ने दिखाई रुचि

    इन्दौर। सरकारी (government) विभागों की सालों से अनुपयोगी और खाली पड़ी जमीनों (lands) को बेचकर खाली पड़े खजाने को भरने की जुगत की जा रही है। राजस्व, लोक निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य, रोडवेज, हाउसिंग बोर्ड, बिजली कंपनी, वाणिज्यिक कर सहित तमाम विभागों से कहा गया है कि वे अपनी-अपनी जमीनों की जानकारी प्रशासन को सौंपे। शासन ने इसके लिए अलग से ही लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग भी बना दिया है। इन्दौर (Indore) में अभी पीपल्याहाना, निपानिया, गाडराखेड़ी के साथ-साथ रोडवेज की नंदानगर स्थित सिटी डिपो और कृषि विभाग की 123 हेक्टेयर जमीनों के साथ-साथ हुकमचंद मिल की जमीन को भी चर्चा में शामिल किया गया। एमपीएसआईडीसी ने भी हुकमचंद मिल की जमीन खरीदने में रुचि दिखाई है।


    अभी इन्दौर आए प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी ने इन सरकारी जमीनों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक भी की, जिसमें कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल, अपर कलेक्टर पवन जैन, राजेश राठौर, एकेवीएन के एमडी रोहन सक्सेना सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। संभागायुक्त पवन कुमार शर्मा की अध्यक्षता में हुई पूर्व बैठक में इन्दौर जिले में मौजूद सरकारी जमीनों की जानकारी निकालने के निर्देश दिए गए थे। अभी तक दस सरकारी सम्पत्तियों को बेचकर 82 करोड़ से अधिक की राशि सरकार ने हासिल कर ली है। अभी 42 विभागों ने अपनी 50 से अधिक अनुपयोगी सम्पत्तियों को बेचने की सहमति भी दी है। इन्दौर में फिलहाल पीपल्यापाला स्थित जमीन के अलावा नंदानगर में रोडवेज की सिटी डिपो की जमीन और निपानिया, गाडराखेड़ी के साथ-साथ हुकमचंद मिल की जमीन को लेकर भी चर्चा की जा रही है। सालों से मिल मजदूर अपनी जमा पूंजी पाने के लिए शासन-प्रशासन से लेकर कोर्ट कचहरी तक लड़ाई लड़ रहे हैं।

    एमपीएसआईडीसी रोहन सक्सेना का कहना है कि हुकमचंद मिल की जमीन हम खरीदने को तैयार हैं, लेकिन पहले यह जानकारी ली जा रही है कि बैंकों की कितनी बकाया राशि शेष है। अभी मुंबई डीआरटी ने ढाई हजार करोड़ से अधिक की बकाया राशि बताई है और जमीन की कीमत मात्र 384 करोड़ रुपये ही आंकी है। अभी निगमायुक्त के साथ भी इस संबंध में चर्चा हुई है, क्योंकि हाईकोर्ट ने मिल की जमीन निगम मालिकी की ही बताई है। हाईकोर्ट में ही पूर्व में देनदारियों का जो ब्योरा दिया गया था, उसमें 441 करोड़ रुपये की राशि थी, मगर अब मुंबई डीआरटी ने इसे बढ़ाकर ढाई हजार करोड़ से अधिक कर दिया है। कोडक महिन्द्रा बैंक के इशारे पर यह राशि इतनी अधिक बढ़ गई है। लिहाजा अब इसका वास्तविक मूल्यांकन करवाया जा रहा है, ताकि यह पता लग सके कि कितनी राशि असल में बकाया है। चार सौ-पांच सौ करोड़ रुपये तक की राशि देकर एमपीएसआईडीसी 42 एकड़ हुकमचंद मिल की जमीन हासिल कर सकती है, क्योंकि अब इसकी कीमत एक हजार करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है और एमपीएसआईडीसी इस जमीन का इस्तेमाल रेडिमेड गारमेंट क्लस्टर से लेकर स्टार्टअप या अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए कर सकती है।

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