नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा, अपराध की जांच कर रहे अधिकारी किशोर अपराधियों (juvenile offenders) की उम्र निर्धारण(age determination process) की प्रक्रिया हर हाल में 15 दिन के अंदर पूरी(within 15 days in any case) करें। जांच अधिकारी को सुनिश्चित करना होगा कि किशोर के संबंध में आदेश के बाद 15 दिन के भीतर अस्थि पंजर परीक्षण (ऑसिफिकेशन टेस्ट) की रिपोर्ट किशोर न्याय बोर्ड Juvenile Justice Board (JJB) के समक्ष पेश कर दी जाए।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल (Justice Siddharth Mridul) और जस्टिस अनूप जयराम भामबानी (Justice Anoop Jairam Bhambani) ने कहा, किशोर न्याय बोर्ड को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराध की प्रकृति चाहें जैसी भी हो, कानून का उल्लंघन करने वाले किशोरों से संबंधित सभी मामलों में उम्र निर्धारण की प्रक्रिया 15 दिन में पूरी की जाए। हाईकोर्ट ने किशोरों से संबंधित पूछताछ की प्रक्रिया को और सुव्यवस्थित करने के लिए भी विभिन्न निर्देश जारी किए। साथ ही यह स्पष्ट किया कि सभी संबंधित अधिकारियों को पूरी ईमानदारी से इसका पालन करना चाहिए। पीठ किशोर न्याय अधिनियम के कुछ प्रावधानों की व्याख्या और प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार कर रही थी। पीठ ने दिल्ली सरकार को चार हफ्तों में उन मामलों की संख्या बताने का भी निर्देश दिया है, जहां किशोर से जुडे़ मामले छह महीने से एक साल तक लंबित हैं। साथ ही जांच शुरू कब हुई और किशोर को पहली बार जेजेबी के समक्ष कब पेश किया गया। कोर्ट अब 14 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा।