नई दिल्ली. अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन की एक नई स्टडी के अनुसार, प्लांट बेस्ड डाइट लेने से रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है. रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून कंडीशन है, जो आम तौर पर जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न (stiff) को ट्रिगर करती है.
क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसमें इम्यून सिस्टम(immune system) शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है. इसकी वजह से शरीर के अंगों में बहुत ज्यादा सूजन पैदा हो जाती है जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगती है.
मीट-डेयरी प्रोडक्ट्स और रूमेटाइड अर्थराइटिस
स्टडी में 44 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें पहले रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या रह चुकी थी. ये सभी लोग मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स (dairy products) का सेवन नहीं करते थे. इस स्टडी में इन लोगों के मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन ना करने से होने वाले हेल्थ बेनेफिट्स के बारे में पता लगाया गया.
स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि प्लांट बेस्ड डाइट का सेवन करने से इन सभी लोगों के स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर देखने को मिला,साथ ही इन लोगों में अर्थराइटिस की वजह से होने वाली तकलीफ में भी कमी पाई गई. प्लांट बेस्ड डाइट लेने से स्टडी में शामिल सभी लोगों ने अपना वजन कम होता हुआ भी महसूस किया, साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल में भी कमी देखी गई.
स्टडी की शुरुआत में सभी प्रतिभागियों ने अपने घुटनों के दर्द की गंभीरता को क्लासिफाई करने के लिए एक विजुअल एनालॉग स्केल का उपयोग किया. इसके बाद सभी प्रतिभागियों को 16 हफ्तों के लिए दो ग्रुप्स में बांटा गया.
ग्रुप 1 और 2
स्टडी के दौरान, दोनों में से एक ग्रुप के लोगों को 4 हफ्तों के लिए वीगन डाइट लेने के लिए कहा गया, इसके बाद इन लोगों की डाइट में से तीन हफ्ते के लिए दर्द-ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों को हटा दिया गया था. कुछ हफ्तों के बाद हटाए गए ये खाद्य पदार्थ फिर से लोगों को दिए गए. वहीं, दूसरे ग्रुप को 16 हफ्तों के दौरान सभी चीजें खाने को दी गई. इसके अलावा उन्हें एक प्लेसबो कैप्सूल भी दी गई, लेकिन इसका स्टडी से कोई लेना-देना नहीं था.
स्टडी के अंत में रिसर्चर्स ने नॉर्मल डाइट लेने वाले ग्रुप की तुलना में वीगन डाइट लेने वाले लोगों में घुटनों के दर्द में कमी पाई. इसके अलावा वीगन डाइट लेने वाले ग्रुप के लोगों के घुटनों में होने वाली सुजन में भी कमी देखी गई.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं.
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