20 पेज की रिपोर्ट हाईकोर्ट के हवाले, चिराग और हैप्पी निकले शातिर, अधिकांश पीडि़तों को नहीं दी राहत, अब 26 सितम्बर को होगी सुनवाई
इंदौर। हाईकोर्ट (High Court) के आदेश बनी जांच कमेटी ने अपनी 20 पेज की फाइनल रिपोर्ट तैयार कर सौंप दी है। अब 26 सितम्बर को हाईकोर्ट इस कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट पर सुनवाई करेगी और भूमाफियाओं को बेल मिलेगी या जाना पड़ेगा जेल, यह भी तय होगा। सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कमेटी प्रमुख आईएस श्रीवास्तव की इस रिपोर्ट में भूमाफिया की करतूतों की पोल खोली गई है, जिसके चलते अधिकांश पीडि़तों को न्याय नहीं मिल सका। कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स और सेटेलाइट हिल्स (Kalindi Gold, Phoenix and Satellite Hills) के 254 पीडि़तों में से भूमाफियाओं ने मात्र 137 का निराकरण किया। वहीं दूसरी तरफ भूमाफियाओं ने जो चालबाजियां की उनका भी खुलासा किया गया है। डायरियों पर हुए सौदे, बिके हुए भूखंडों पर बैंक लोन, कम्पनियों से इस्तीफा दे चुके डायरेक्टरों की जिम्मेदारी सहित अन्य बिन्दुओं पर अब हाईकोर्ट को निर्णय लेना है।
सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत इन भूमाफियाओं को दी थी और हाईकोर्ट को यह मामला रेफर भी कर दिया था, जिसके चलते हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की, जिसके मुखिया सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएस श्रीवास्तव बनाए गए। कमेटी ने लगातार बैठकें की, जिसमें इन भूमाफियाओं और उनके द्वारा जिन कम्पनियों और रसूखदारों को जमीनें बेची गई उन्हें तलब किया गया, लेकिन तमाम बैठकों के बावजूद अधिकांश पीडि़तों को इसलिए न्याय नहीं मिल सका क्योंकि इन भूमाफियाओं ने चकरी इस तरह घुमा रखी है कि उसमें बैंक, कम्पनियों के साथ-साथ जिन रसूखदारों को जमीनें बेची वे खुद पीडि़त बनकर प्रस्तुत हो गए। हालांकि इनमें से कई मामले कमेटी ने खारिज भी कर दिए। कैलाश गर्ग और चम्पू के बीच सेटेलाइट की जमीन को लेकर भी वर्षों से विवाद चल रहा है, जिसमें बैंक की आपत्ति भी शामिल है। वहीं चंद्राप्रभु होम्स, आरसी मित्तल, प्रदीप अग्रवाल, महेश वाधवानी से लेकर नीतेश चुघ सहित अन्य की आपत्तियों को भी सुना गया। वहीं लिक्विडेटर की भूमिका पर भी कड़ी टिप्पणी की गई है, जिसने फिनिक्स के पीडि़तों के निराकरण में कोई सहयोग कमेटी को नहीं दिया। चिराग शाह, हैप्पी धवन और चम्पू सहित नीलेश अजमेरा व अन्य इन मामलों में मुख्य आरोपी हैं, जिनके खिलाफ तमाम एफआईआर भी विगत समय में पुलिस प्रशासन ने दायर कर रखी है। हाईकोर्ट को सौंपी 20 पेज की इस जांच रिपोर्ट में बताया कि कालिंदी गोल्ड के 96, फिनिक्स 88 और सेटेलाइट हिल्स के 71 पीडि़तों को न्याय दिलवाया जाना है, जिनमें से 137 का निराकरण किया गया। चिराग से जुड़े अधिकांश मामले ही उलझे रहे। चिराग ने न केवल जमानत हांसिल कर ली, बल्कि वह निपटारे के लिए हुई एक भी बैठक में शामिल न नहीं हुआ, उसकी जगह उसका एक प्रतिनिधि लगातार बैठकों में शामिल होता रहा, जिसके पास निर्णय लेने के कोई अधिकार नहीं थे। इसी कारण सेे अधिकांश मामले उलझे रहे और अब भी वह प्रशासन को किसी भी तरह का सहयोग देने के लिए तैयार नहीं है।
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