पंजाब: पंजाब (Punjab) के नांगल (Nangal) में एक प्रिंसिपल-कम-स्कूल मालिक 14 साल तक छात्राओं का यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) करता रहा, लेकिन किसी ने खौफ से पुलिस में शिकायत दर्ज कराने तक की जहमत नहीं उठाई. ग्रामीण लोग राजनीतिक दबदबे और इज्जत पर दाग लगने के डर से चुप रहे. वहीं, छात्राओं ने आगे आकर कुछ कहने की हिम्मत नहीं की. तथाकथित प्रिंसिपल (School Principal) ने न जाने कितनी ही लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया. न जाने कितनी ही लड़कियों ने दर्द की आह को अपने भीतर ही दफन कर लिया ताकि परिवार की इज्जत पर कोई आंच ना आ जाए.
एक पत्रकार का काम होता है कि वो सच्चाई से दुनिया को रूबरू कराए, लेकिन इस कहानी में तो पत्रकार ने पैसे के लोभ में आकर बुराई को और सिर उठाने का मौका दे डाला. अगर पंजाब के एक स्थानीय पत्रकार ने अपने पेशेवर नैतिकता से समझौता नहीं किया होता, तो शायद नांगल स्कूल के छात्राओं के प्रिंसिपल की काली करतूतों का खुलासा सालों पहले ही हो चुका होता. मुख्य आरोपी स्कूल के प्रिंसिपल अमृतपाल धीमन को बेनकाब करने के बजाय, वेब पोर्टल चलाने वाले एक पत्रकार ने सबूत मिटाने के लिए प्रिंसिपल से पैसे लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया.
पत्रकार फिलहाल फरार है, लेकिन संगतपुर गांव के एक निवासी नरेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसने स्थानीय पत्रकार को आपत्तिजनक तस्वीरें या वीडियोज उपलब्ध कराई थीं. पुलिस इस मामले में धीमन और उसके दोस्त शिव कुमार को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक, कुमार ने सबसे पहले छात्राओं की अश्लील तस्वीरें और वीडियो क्लिप पकड़ी थी. उसने 2015 में दो सीडी तैयार की थी और उन्हें स्थानीय गांवों के कुछ प्रमुख लोगों को सौंप दिया था, जो चाहते थे कि प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामले को क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में लाया जाए.
15 फरवरी को फिल्माई गई तीन छात्राओं की 198 तस्वीरें और वीडियो लीक होने और वायरल होने के बाद 54 वर्षीय प्रिंसिपल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उसका स्कूल पंजाब राज्य शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है और सरकारी धन से चलता है. पंजाब सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. सूत्रों ने बताया कि प्रिंसिपल ने स्वीकार किया है कि तस्वीरें उसके कंप्यूटर से ली गई थीं. पंजाब विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष और आनंदपुर साहिब से तीन बार के कांग्रेस विधायक राणा केपी सिंह, जिनसे प्रिंसिपल ने नजदीकी संबंध का दावा किया था, उन्होंने कहा कि उनके स्कूल प्रिंसिपल के साथ किसी भी तरह के संबंध नहीं है.
राणा ने कहा कि प्रधानाध्यापक के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर किसी भी ग्रामीण ने उनसे कभी संपर्क नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘पुलिस उसे पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है और मुझे उम्मीद है कि उसे कड़ी सजा मिलेगी.’ कांग्रेस ने भी प्रिंसिपल के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. प्रिंसिपल अमृतपाल धीमन ने 2000 की शुरुआत में अपना पहला स्कूल शुरू किया था. हालांकि 2016 में इसे बंद करने के लिए धीमन पर दबाव बनाया गया. ग्रामीणों ने दावा किया कि स्कूल के बाद भी प्रिंसिपल छात्राओं को ट्यूशन पढ़ाने के बहाने बुलाता था. उसकी इस साजिश की भनक ग्रामीणों को लग चुकी थी. एक पंचायत सदस्य ने कहा, ‘हमें पता चला कि वह लड़कियों का यौन शोषण करता है. हालांकि हमारे पास इन आरोपों को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं थे. लड़कियों ने कभी शिकायत नहीं की. यहां तक कि अपने माता-पिता से भी नहीं.’
पुलिस ने कहा कि हो सकता है कि प्रिंसिपल ने छात्राओं की खींची हुई तस्वीरों को लीक करने की धमकी देकर गांव के लोगों को चुप करा दिया हो. जब पंचायत सदस्य से पूछा गया कि गांववाले कभी पुलिस के पास क्यों नहीं गए? तो इसपर उन्होंने कहा, ‘सभी लोग इसके पक्ष में नहीं थे क्योंकि इससे लड़कियों की बदनामी होती. इसलिए हमने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया कि स्कूल यहां से ट्रांसफर हो जाए.’ हालांकि स्कूल को बंद करने के लिए मजबूर किए जाने के कुछ ही दिनों के बाद धीमन ने इसे फिर से कहीं और खोल लिया. इन 14 सालों में आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि स्कूल को सरकार से अनुदान के रूप में कुल 35 लाख रुपये मिले थे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved