मालदीव। मुस्लिम देश मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जब से शपथ ली है, तभी से वे भारत विरोधी ऐलान कर रहे हैं पहले उन्होंने मालदीव में भारतीय सेना के 77 जवानों को वापस भारत भेजने की बात कही है। अब उन्होंने भारत के साथ 100 के करीब समझौतों पर फिर से समीक्षा करने का ऐलान किया है। मालदीव के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। दरअसल, मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थन प्राप्त है। वह चीन के इशारे पर चलते हुए भारत विरोधी ऐलान कर रहे हैं।
77 भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद हैं मालदीव में
देश के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के 24 घंटे से भी कम समय के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारत सरकार से मालदीव से भारतीय सैनिकों को ‘वापस’ बुलाने का औपचारिक अनुरोध किया था। राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति मामलों के अवर सचिव मोहम्मद फिरोजुल अब्दुल खलील ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नए प्रशासन के अनुसार मालदीव में 77 भारतीय सैन्यकर्मी हैं। मुइज्जू ने चुनाव प्रचार के दौरान मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को मुद्दा बनाया था।
विमान और हैलिकॉप्टर प्रबंधन में कार्यरत हैं भारतीय सैनिक
मालदीव की मीडिया ने फिरोजुल के हवाले से कहा कि पहले हेलीकॉप्टर का प्रबंधन करने के लिए 24 भारतीय सैन्यकर्मी हैं, डोर्नियर विमान का प्रबंधन करने के लिए 25 भारतीय हैं, दूसरे हेलीकॉप्टर का प्रबंधन करने के लिए 26 भारतीय हैं। वहीं मैंटेनेंस एवं इंजीनियरिंग के लिए दो और सदस्य हैं। सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव से सभी 77 भारतीयों को भेजने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
नए राष्ट्रपति को मिली है चीन की शह
मालदीव रणनीतिक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है। पूर्ववर्ती इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार के दौरान भारत और मालदीव के संबंध रक्षा और सुरक्षा संबंध मजबूत हुए थे। मालदीव भी भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति में सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है। शनिवार को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू के साथ एक बैठक के दौरान मुइज्जू ने आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से अपने सैन्य कर्मियों को मालदीव से हटाने का अनुरोध किया। मुइज्जू को व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप माना जाता है।
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