यूक्रेन। रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) में जारी तनाव के बीच जंग छिड़ने का खतरा बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात (war like situation) बन गए हैं। यूक्रेन सीमा पर रूस ने एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने अनुमान लगाया है की रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन (America and Britain) यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। युद्ध की आशंका को देखते हुए ब्रिटेन और कनाडा (UK and Canada) ने भी यूक्रेन को सैन्य सहायता और युद्ध सामान मुहैया कराना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि रूस यूक्रेन पर कब्जा करना चाहता है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों (international experts) का मानना है कि रूस पर यूक्रेन पर हमला करने के बारे में इसलिए सोच रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) को रूस की सत्ता में बनाए रखने में मददगार साबित होगा। दूसरी तरफ यूक्रेन पश्चिमी देशों (Ukraine western countries) से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है, जबकि रूस इसके खिलाफ है। यूक्रेन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) का सदस्य नहीं है लेकिन उसके यूक्रेन से अच्छे संबंध है, यह बात रूस को अच्छी नहीं लगती। अमेरिका और ब्रिटेन (America and Britain) समेत दुनिया के 30 देश इसके सदस्य हैं। रूस ने पिछले सप्ताह धमकी भरे लहजे में कहा था कि यदि नाटो रूस के खिलाफ यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा।
विदेश नीति (Foreign Policy) अनुसंधान संस्थान के फेलो रॉब ली और पूर्व अमेरिकी मरीन के एक बयान के मुताबिक रूस अपने इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइल (Iskander ballistic missile) जैसे हथियारों से यूक्रेन की सैन्य इकाइयों को दूर से तबाह करने की क्षमता रखता है। रूस के पास इतने आधुनिक हथियार हैं कि यह एक दिन में हजारों लोगों को हताहत करने की क्षमता रखता है। रूस की सैन्य ताकत शीत युद्ध के बाद से अपने उच्चतम स्तर (highest level) पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से रूस की सेना पहले के मुकाबले अधिक सक्षम है। इसके परमाणु हथियार (nuclear weapon) और वायु सेना विशेष रूप से मजबूत हैं। ग्लोबल फायरपावर कंट्रीज इंडेक्स 2022 के मुताबिक इस इंडेक्स में शामिल 140 से ज्यादा देशों में रूस को सैन्य ताकत के मामले में दूसरा स्थान दिया गया है।
रूस ने 1990 के दशक में चेचन्या के खिलाफ लड़ाई लड़ी और 2008 में जॉर्जिया अभियान (Georgia Campaign) चलाया जिसमें रूस के ‘उपकरण और प्रशिक्षण’ में कमियां उजागर हुई और रूस ने इन कमियों को दूर करने के लिए जी तोड़ प्रयास किए। मॉस्को ने अपने परमाणु उपकरणों को अपग्रेड किया है और नई हाइपरसोनिक और अंडरवाटर मिसाइल विकसित करना चाहता है।रूसी सशस्त्र बल तीन सेवाओं और दो प्रमुख स्वतंत्र कमानों या शाखाओं में संगठित हैं। ग्राउंड फोर्स, एयरोस्पेस फोर्स और नौसेना हैं।
दो स्वतंत्र कमांड सामरिक रॉकेट फोर्स (Independent Command Tactical Rocket Force) और एयरबोर्न फोर्स जिसे वीडीवी (VDV) भी कहा जाता है। पिछले एक दशक में रूस ने ग्राउंड फोर्स का काफी आधुनिकीकरण किया है, विशेषकर अपने तोपखाने का। ग्राउंड फोर्स (Ground force) की संख्या 280,000 बताई गई है, जिनमें से 55 फीसदी एक दिन भी छुट्टी नहीं लेते हैं और 12 महीने अपनी सेवा देते हैं। वहीं वीडीवी में कुल 45,000 सैनिक हैं।
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