तिलक लगाकर तेरहवीं मत मनाओ… आधे दिन के लिए हमारी नहीं हमेशा के लिए उनकी दुकानें बंद कराओ… नहीं करा सकते हो तो हिंदूवादी होने का ढोंग मत रचाओ.. अत्याचार बांग्लादेश में हो रहा है और मातम हम मना रहे हैं… वहां हिंदू सहमकर जिंदगी बिता रहे हैं और हम यहां बैठकर गुर्रा रहे हैं…जिस देश में भाजपा की सरकार है… सरकार के मुखिया हिंदूवादियों के सरदार हैं… 56 इंच का सीना उनका किरदार है…वो पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक का दम दिखाते हैं…फिर बांग्लादेश में घुसकर हिंदूवादियों को क्यों नहीं बचाते हैं…हम देश को एशिया का चौधरी मानते हैं…फिर घर में बैठकर हुंकारने और वहशियत की हद तक पहुंच चुके बांग्लादेश को हडक़ाने जैसी बचकानी हरकत क्यों दुनिया को दिखाते हैं… अमेरिका लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारता है…सद्दाम को इराक सहित उखाडक़र ताकत दिखाता है…गद्दाफी को माफी नहीं मौत देकर बदला निकालता है…हिम्मत और अपनों की कीमत तो इसे कहते हैं कि गद्दी पर बैठने से पहले ट्रंप हमास को बंधकों की रिहाई की चुनौती दे डालते हैं और नहीं मानने वालों को मरने के लिए तैयार रहने के लिए वक्त की घडिय़ां गिना डालते हैं… और हम हैं कि सडक़ों पर प्रदर्शन कर अपनी भड़ास निकालकर रह जाते हैं… हम न हिंदूवादियों का दर्द समझ पा रहे हैं और न अपनी ताकत पहचान पा रहे हैं…जिस बांग्लादेश की अवाम को हमने खैरात में देश दे डाला…जिनकी आजादी के लिए हमारे फौजियों ने शहादत का कारवां रच डाला…वो देश यदि एहसान फरामोश बन जाए… हमारी जीती हुई जमीन हड़पकर देश में बसे हिंदुओं पर कहर ढाए और हम यहां पुतले जलाकर, हंगामे मचाकर, सडक़ों पर रैलियां निकालकर तख्तियों में गुस्सा निकाल रहे हैं…यदि हमारे जेहन में रोष है तो दुकानें हमारी नहीं उनकी बंद होना चाहिए…देश से व्यापार पर रोक लगना चाहिए…उनकी मदद करने वाले देश से नाता तोड़ लेना चाहिए और जो यह बगल में हम शेख हसीना को पाल रहे हैं उन्हें मोहरा बनाना चाहिए… उनसे उनकी छिनी हुई सल्तनत को मिटाने के राज पूछना चाहिए…जब घर में विभीषण हो तो लंका दहन भी होना चाहिए और रावण भी मरना चाहिए…
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