इंदौर। 1 जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की सदस्यता लेने वाला भारत प्रथम एशियाई देश था, भारत में डाक सेवाओं का इतिहास बहुत पुराना है, भारत में एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को लार्ड डलहौजी के काल में हुई। डाकघरों में बुनियादी डाक सेवाओं के अतिरिक्त बैंकिंग, वित्तीय व बीमा सेवाएं भी उपलब्ध हैं। एक तरफ जहां डाक-विभाग सार्वभौमिक सेवा दायित्व के तहत सब्सिडी आधारित विभिन्न डाक सेवाएं देता है वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी, जनजातीय व दूरस्थ अंडमान व निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में भी उसी दर पर डाक सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
इस युग में हम पुरानी डाक-पोस्ट ऑफिस व्यवस्था से दूर हो गए हैं कभी वह भी समय था जब हर गली-मोहल्ले में डाकिया बाबू आते ही हलचल मच जाती थी संदेश पत्र-चिट्ठी की राह हर परिजन ताकता था, लेकिन आज मोबाइल-इंटरनेट ने पुरानी पारम्परिक डाक-व्यवस्था पर ग्रहण लगा दिया है ।
प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। डाक सेवाओं की उपयोगिता और इसकी संभावनाओं को देखते हुए ही 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के उत्पाद के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। सभी देशों के बीच पत्रों का आवागमन सहज रूप से हो सके, इसे ध्यान में रखते हुए 9 अक्टूबर 1874 को जनरल पोस्टल यूनियन के गठन हेतु बर्न, स्विट्जरलैंड में 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया था। इसी वजह से विश्व डाक दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया। यह संधि 1 जुलाई 1875 को अस्तित्व में आई और यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की शुरुआत की गई थी।
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