इंदौर।ओवरब्रिजों का निर्माण (Construction) इंदौर (Indore) में ज्यादातर विवादित ही रहा है, जिसके चलते निर्माण (Construction) पूरा होने में लम्बा समय लगता रहा है। बंगाली (Bengali) ओवरब्रिज में पहले तो सिंधियाजी की प्रतिमा बाधा थी, जिसे 4-5 दिन पहले शिफ्ट किया गया, मगर अब सडक़ के बीच खम्भे आ रहे हैं, जिसके चलते 100 फीट का इस्पान 50-60 फीट का ही रह गया। सांसद, विधायक के साथ पूर्व सभापति अजयसिंह नरुका ने भी इसका विरोध किया और आज काम भी बंद करवा दिया।
पहले तो सालभर से ओवरब्रिज का निर्माण प्रतिमा शिफ्टिंग न हो पाने के कारण रुका रहा और जैसे-तैसे प्रतिमा शिफ्ट की गई तो अब सडक़ के बीच खम्भों के आने से तकनीकी परेशानी आ रही है, जिसके चलते ब्रिज के इस्पान, यानी उसकी चौड़ाई कम हो रही है। लोक निर्माण विभाग द्वारा इस ओवरब्रिज का निर्माण करवाया जा रहा है। सांसद, विधायक से लेकर तमाम विशेषज्ञ इसे तकनीकी त्रुटि मान रहे हैं। सभी का कहना है कि निर्माण से पहले इस त्रुटि को दूर किया जाना चाहिए, अन्यथा भविष्य में यातायात जाम से लेकर दुर्घटनाएं बढ़ेंगी। इससे ब्रिज निर्माण की लागत 5-6 करोड़ रुपए अवश्य बढ़ेगी, मगर आने वाले समय में उसका कई गुना अधिक फायदा मिलेगा। निगम के पूर्व सभापति अजयसिंह नरुका ने भी इस्पान की चौड़ाई घटाने का तीखा विरोध किया है और उन्होंने आज काम भी बंद करवा दिया और कहा कि जरूरत पड़ी तो वे इसको लेकर धरना आंदोलन भी शुरू करेंगे। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर सुनने को ही तैयार नहीं हैं। इस तकनीकी त्रुटि को दूर किए बिना ओवरब्रिज का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। जिस तरह की गलती बाणगंगा या अन्य ओवरब्रिज पर हुई है उसे बंगाली चौराहा पर क्यों दोहराया जा रहा है? यहां तक कि जो पीपल्याहाना ओवरब्रिज बना है वह पूरे 120 फीट चौड़ाई में है और अब उसके साथ यह बन रहा बंगाली ओवरब्रिज संकरा होगा तो यातायात पहले की तरह गुत्थमगुत्था रहेगा और ओवरब्रिज का अधिक फायदा भी नहीं मिल सकेगा।
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