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जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटने के बाद से घाटी में बदल गई तस्वीर

श्रीनगर (Srinagar)। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 (Article 370 in Jammu and Kashmir) के मसले पर सियासत आज भी हो रही है। मामला सर्वोच्च अदालत (supreme court) में भी है, लेकिन इसकी समाप्ति की घोषणा के चार साल बाद घाटी की आबोहवा काफी बदली-बदली सी लगती है। आतंक के नए स्रोत और तरीकों की चुनौती के बीच घाटी में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। इसके साथ ही विकास के काम में तेजी के साथ सरकार निचले स्तर तक लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने की मुहिम में जुटी है।

घाटी में आतंक के आकाओं पर नकेल और वित्तीय स्रोत पर एनआईए सहित अन्य एजेंसियों के चौतरफा प्रहार से तस्वीर काफी हद तक बदली है। खौफ की कमी के चलते ही तीन दशक से ज्यादा समय के बाद निकले मुहर्रम के जुलूस को सरकार भरोसा बहाली का बड़ा प्रतीक बता रही है। वहीं, जी-20 का आयोजन और घर-घर तिरंगा जैसे अभियान की घाटी में मिली सफलता को सरकार बदलाव का आइना मानती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलगाववादियों की कमर टूट चुकी है। आतंकी नाम बदलकर घाटी में छिपने को मजबूर हैं। हालांकि हाइब्रिड आतंकी, टारगेट किलिंग और कट्टरपंथ के नाम पर ब्रेनवाश कर युवाओं को आजाद कश्मीर की मांग के लिए गुमराह करने जैसी चुनौती भी अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं।

घाटी के बजाय जम्मू की तरफ आतंकियों का मूवमेंट और सीमा पार से ड्रोन के जरिये हथियार और पैसा भेजने की हरकत में बढ़ोतरी भी सुरक्षा बलों के लिए चुनौती है। अधिकारियों का कहना है कि अर्से से चल रहा आतंकवाद रातोंरात खत्म नहीं हो सकता, लेकिन आज घाटी में आम लोग बदलाव महसूस कर रहे हैं। उनका डर खत्म हो रहा है। चुनिंदा लोगों की आतंकियों से सहानुभूति की तुलना में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो विकास और शांति के पक्षधर हैं। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद केंद्रीय योजनाओं का लाभ उन्हे मिल रहा है।

मुहर्रम का जुलूस निकाला
90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया था। अब जुलूस निकलना और इस दौरान कोई घटना नहीं होने को अधिकारी कश्मीर में सामान्य होते हालात का एक और पुख्ता सबूत मानते हैं।



निवेश बढ़ा, परियोजना में तेजी
गृह मंत्रालय ने संसद को बताया है कि जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2022-23 में 92,560 परियोजनाएं पूरी हुईं, जबकि अनुच्छेद 370 युग में यानी 2018-19 में 9,229 परियोजनाएं पूरी हुई थीं। मंत्रालय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में निवेश भी दस गुना बढ़ गया है, जो 2019-20 में 296 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2,153 करोड़ रुपये हो गया है। 3.5 लाख से अधिक रोजगार का सृजन हुआ। जीएसटी राजस्व और अन्य कर संग्रह 9,310.99 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत, पिछले तीन वर्षों के दौरान 6,912 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है। वहीं पिछले चार वर्षों के दौरान 19,096 किलोमीटर सड़क को ब्लैक-टॉप किया गया है।

एक्सप्रेस वे और रिंग रोड से कारोबार बढ़ेगा
सरकार का मानना है कि पांच एक्सप्रेसवे, जम्मू और श्रीनगर शहरों के लिए रिंग रोड, 10 प्रमुख और 11 अन्य सुरंगों, 33 फ्लाईओवर पर काम चल रहा है। इससे कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। जम्मू-कश्मीर में सौभाग्य योजना के तहत 100 फीसदी विद्युतीकरण हासिल कर लिया गया है। वर्ष 2021 में 1.13 करोड़ की तुलना में 2022 में पर्यटकों की संख्या 1.88 करोड़ से अधिक पहुंचने का दावा किया गया है।

ड्रोन के जरिये घुसपैठ की चुनौती
जमीनी घुसपैठ पर सुरक्षा ग्रिड के जरिये नकेल कसने के बाद ड्रोन के जरिये पाकिस्तान बार- बार अतिक्रमण कर रहा है। वर्ष 2022 में 268 से अधिक ड्रोन जबकि 2021 में 109 और 2020 में 49 ड्रोन देखे गए थे।

आतंकी घटनाओं में आई कमी
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में 78 फीसदी तक घटनाओं में कमी का दावा एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 से 4 अगस्त, 2019 तक की अवधि के मुकाबले 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से आतंकी घटनाओं में 30 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौत में 42 फीसदी तक की कमी आई है। अकेले सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने की घटनाओं में 57 फीसदी तक की कमी आई है। घाटी में 30000 से ज्यादा जनप्रतिनिधि जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे हैं।

आतंक की नई चुनौती
आतंकी संगठनों द्वारा जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल-मुजाहिदीन और अल-बद्र का छद्म रूप तैयार कर लिया गया है। जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। आतंकी संगठनों के आर्थिक स्रोत पर प्रहार के बाद अब चुनौती नए नाम से काम कर रहे संगठन और उनकी बदली हुई रणनीति है।

एक के बदले पांच एनकाउंटर
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में एक जवान शहीद होता है तो उसके बदले में पांच-छह आतंकियों को ढेर कर दिया जाता है। पिछले साल आतंकी हमलों में 31 जवान शहीद हुए थे। इसके बदले में सुरक्षाबलों ने 172 आतंकियों को मार गिराया था।

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