नई दिल्ली: Twitter को-फाउंडर Jack Dorsey ने एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म Signal App को हर साल 1 बिलियन डॉलर (करीब 8 करोड़ रुपए) देने का फैसला किया है. डोर्सी ने एक ब्लॉग पोस्ट में जानकारी दी कि उन्होंने ओपेन इंटरनेट डेवलपमेंट को सपोर्ट करने के लिए ग्रांट देने का प्लान बनाया है. इस कड़ी में सिग्नल ऐप को दी जाने वाली मदद उनकी तरफ से पहली ग्रांट है. डोर्सी का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का मालिकाना हक “एक कंपनी या कंपिनयों के ग्रुप” के पास नहीं होना चाहिए. बता दें कि डोर्सी ने इसी साल ट्विटर का साथ छोड़ दिया था.
जैक डोर्सी ने Signal App को लगभग 8 करोड़ रुपए की ग्रांट देने की जानकारी Revue पर पोस्ट लिखकर दी है. Revue एक न्यूजलेटर सर्विस है, जिसका मालिकाना हक ट्विटर के पास है. डोर्सी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कॉर्पोरेट और सरकार के प्रति लचीला रुख अपनाना चाहिए. इस साल की शुरुआत में एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने की इच्छा जताई थी. इसके बाद डोर्सी ने अपने रास्ते अलग कर लिए.
जैक डोर्सी का Bluesky प्रोजेक्ट
जैक डोर्सी से ग्रांट लेने वाली इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप Signal वॉट्सऐप की तरह काम करती है. अक्टूबर में डोर्सी ने डिसेंट्रलाइज्ड सोशल नेटवर्किंग पहल Bluesky की जानकारी शेयर की थी. फिलहाल ट्विटर को-फाउंडर जैक डोर्सी इसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. ब्लूस्काई एक प्रोटोकॉल है, जिसे अभी बनाया जा रहा है. डोर्सी के अनुसार इसके अकाउंट पोर्टेबिलिटी, एल्गोरिदम चॉइस और इंटरऑपरेशन जैसे फीचर्स की टेस्टिंग चल रही है.
ऐसा होगा Bluesky
उस दौरान डोर्सी ने खुलासा किया था कि Bluesky ऑथेंटिक ट्रांसफर प्रोटोकॉल या AT प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करेगा. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, Bluesky इनिशिएटिव का AT प्रोटोकॉल डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी से विचारों को एक आसान, तेज और ओपेन नेटवर्क में साथ लाता है. उन्होंने ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि AT प्रोटोकॉल यूजर्स को @alice.com’ जैसे डोमेन नेम के जरिए खुद को पहचानने की इजाजत देगा.
हटेगा कॉर्पोरेट्स का कब्जा
ये डोमेन नेम क्रिप्टोग्राफिक URLs के साथ मैप किए जाएंगे, और अकाउंट और यूजर्स डेटा की सुरक्षा करेंगे. Bluesky का AT प्रोटोकॉल अकाउंट पोर्टेबिलिटी की भी पेशकश करेगा, जिससे यूजर्स अपने डेटा को खोने के रिस्क के बिना अपने अकाउंट को एक प्लेटफार्म से दूसरे में ट्रांसफर कर सकेंगे. डोर्सी ने कहा कि इस फीचर का मकसद लोगों की ऑनलाइन पहचान पर बड़े कॉरपोरेट्स के कब्जे को हटाना है.
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