इंदौर। एमवाय हॉस्पिटल (MY Hospital) में जानलेवा दुर्लभ बीमारी (rare disease) से पीडि़त मरीज (patient) का सफल ऑपरेशन किया गया। सर्जरी करने वाले मेडिकल कॉलेज डीन ने बताया कि आहार नली ( एलिमेंट्री केनल) और इसके आखिरी हिस्से में जुडऩे वाले वाल्व (स्फिंक्टर ) का अगर तत्काल ऑपरेशन नहीं किया जाता तो महज कुछ दिन में ही मरीज के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती थी ।
मेडिकल कॉलज डीन डॉक्टर अरविंद घनघोरिया के अनुसार अचलसिया कार्डिया की दुर्लभ बीमारी से पीडि़त मरीज का यह जटिल ऑपरेशन अंदरूनी सर्जरी सम्बन्धित कई चुनौतियों और मेडिकल पेचीदगियों से भरा था। यह ऑपरेशन लगभग 3 घंटे तक चला । इस बीमारी और ऑपरेशन के सम्बंध में डॉक्टर मनीष गोयल ने बताया कि 45 वर्षीय मरीज मुकेश अलावा धार जिले के इलाके से एमवाय हॉस्पिटल की ओपीडी में डीन डॉक्टर घनघोरिया को अपनी बीमारी दिखाने आया था।
ऐसे बचाई मरते मरीज की जान
मेडिकल कॉलेज डीन घनघोरिया और सहित अन्य 5 डाक्टर्स की टीम ने ऑपरेशन कर लगभग निष्क्रिय पड़ी आहार नली और वाल्व की सफाई कर उसे फिर से सक्रिय करने के अलावा भविष्य में होने वाली सम्भावित अन्य जटिलताओं को भी दूर कर दिया। इस तरह एक दुर्लभ बीमारी वाले मरीज की आहार नली से लेकर पेट में वाल्व का जटिल ऑपरेशन कर मरीज की जान बचा ली।
आहार नली में हर वक्त तीखी जलन
मरीज ने बताया कि उसकी आहार नली में एसिड (तेजाब) जैसी तीखी जलन 24 घंटे होती रहती है। भोजन निगलने या पानी तक गटकने के दौरान सीने से लेकर पेट के वाल्व तक बहुत ज्यादा दर्द होता है। डॉक्टर ने मरीज में बीमारी सम्बन्धित शारीरिक लक्षण और गम्भीर हालत देखने के बाद तत्काल सभी मेडिकल जांचें कराईं। इससे पता चला कि मरीज अचलसिया कार्डिया से पीडि़त है, जो कि खतरनाक जानलेवा और दुर्लभ बीमारी है।
इन वजह से होती है यह बीमारी
मेडिकल साइंस हिस्ट्री के अनुसार अत्यधिक अल्कोहल और बेहिसाब बीड़ी-सिगरेट पीने के अलावा या फिर वो जिन्हें 24 घंटे एसिडिटी की शिकायत बनी रहती है। इस वजह से यह जानलेवा बीमारी आहार नली और इसके नीचे जुड़े पेट के वाल्व के अंदरूनी हिस्सों को डैमेज कर देती है। इस वजह से मरीज भोजन नहीं निगल पाता। वह आहार नली में सडऩे लगता है।
आहार नली और वाल्व से सम्बन्धित
अचलसिया कार्डिया एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है। यह लाखों लोगों में से किसी एक को होती है। इससे पीडि़त मरीज का इलाज और ऑपरेशन अगर तत्काल नहीं होता है तो मरीज कुछ दिनों का ही मेहमान होता है ।
डॉक्टर अरविंद घनघोरिया, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर
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