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जिस पार्टी ने दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें हासिल की, केंद्र में उसकी ही सरकार बनी! समझें- सियासी गणित

May 27, 2024

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Loksabha Chunav 2024) अब अपने आखिरी दौर में है. 1 जून को आखिरी चरण की वोटिंग के साथ ही चुनाव खत्म हो जाएगा. और 4 जून को नतीजे आ जाएंगे. लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक हल्कों में अगली सरकार (Next government in political circles) को लेकर अलग-अलग भविष्यवाणियां और दावे किए जा रहे हैं. लेकिन अगली सरकार को लेकर सबसे सटीक भविष्यवाणी इस बात से की जा सकती है कि दिल्ली की सभी सीटों पर किस पार्टी ने जीत हासिल की? 17 लोकसभा चुनावों में से 9 बार दिल्ली की सभी सीटों पर एक ही पार्टी ने जीत हासिल की है. पिछले लोकसभा चुनावों की नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1967, 1989 और 1991 को छोड़ दिया जाए, तो हर बार जिस भी पार्टी ने दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें हासिल कीं, केंद्र में सरकार उसकी ही बनी.

1952 में जब पहले लोकसभा चुनाव हुए, तब दिल्ली में तीन ही सीट थी. इनमें से एक सीट पर दो सांसद चुने जाते थे. कांग्रेस ने तीन पर कब्जा कर लिया और केंद्र में पहली सरकार बनाई. 1957 में दूसरे लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या चार हो गई और सभी पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1962 में सीटें बढ़कर पांच हो गईं और कांग्रेस ने एक बार फिर सभी सीटों पर कब्जा कर लिया. 1957 और 1962 में कांग्रेस ने दिल्ली के सभी सीटें जीतीं और केंद्र में अपनी सरकार बरकरार रखी.

1967 में दिल्ली में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़कर 7 हो गई. इस चुनाव में भारतीय जन संघ ने 6 सीटें जीत लीं. कांग्रेस महज एक सीट जीत सकी. हालांकि, कांग्रेस केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही. 1967 वो साल था, जब पहली बार कांग्रेस के प्रभुत्व को चुनौती मिली थी. 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कब्जा कर लिया और केंद्र में अपनी सत्ता बरकरार रखी. 1977 में आपातकाल विरोधी लहर के कारण कांग्रेस दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सकी. तब भारतीय लोक दल ने सातों सीटें जीती थीं. ये पहली बार था जब मोरारजी देसाई की अगुवाई में पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी.

हालांकि, 1980 में कांग्रेस ने न सिर्फ दिल्ली की 7 में से 6 सीटें जीतीं, बल्कि केंद्र की सत्ता में भी जोरदार वापसी की. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर पैदा हुई और कांग्रेस ने सभी सातों सीटें जीत लीं. केंद्र में राजीव गांधी की सरकार बनी. 1989 के चुनाव से पहले बोफोर्स घोटाला सामने आने के कारण कांग्रेस दिल्ली की सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी, जबकि बीजेपी ने 4 सीटों पर कब्जा कर लिया. 1989 वो साल था, जब बीजेपी मुख्य विपक्ष के तौर पर उभर रही थी. वीपी सिंह की अगुवाई में दूसरी बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. इस सरकार को बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों ने बाहर से समर्थन दिया था.

1991 के चुनाव में कांग्रेस ने 2 और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि, केंद्र में नरसिम्हा राव की अगुवाई में कांग्रेस ने अल्पमत सरकार बनाई. 1996 में भी कांग्रेस का प्रदर्शन खराब ही रहा और दिल्ली की सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी. ये लगातार तीसरा चुनाव था, जब दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा था. दूसरी, बीजेपी ने 7 में से 5 सीटें जीतीं और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने. हालांकि, बहुमत न होने के कारण उन्हें 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा. बाद में एचडी देवेगौड़ा की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनी.

दिल्ली में कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही थी. 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने 1 और बीजेपी ने 6 सीटें जीतीं. केंद्र में एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, लेकिन ये भी जल्दी ही गिर गई. 1999 के चुनाव में बीजेपी ने सभी सातों सीटों पर कब्जा कर लिया और केंद्र में अपनी सरकार बरकरार रखी. 2004 के चुनाव में कांग्रेस एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस ने उस चुनाव में दिल्ली की 7 में से 6 सीटें जीती थीं और केंद्र में यूपीए की सरकार बनी थी. 2009 में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सीटें जीत लीं और केंद्र में दोबारा अपनी सरकार बनाई.

हालांकि, 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने कांग्रेस से दिल्ली की सभी सीटें छीन लीं और सातों सीटों पर कब्जा कर लिया. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी. 2019 में भी बीजेपी यहां की सभी सीटें जीतकर सत्ता बचाने में कामयाब रही. कांग्रेस ने तीन बार- 1971, 1984 और 2009 में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कब्जा किया था. दूसरी ओर, बीजेपी ने 1999, 2014 और 2019 में यहां की सभी सीटें जीती हैं. बीजेपी 1989, 1991, 1996 और 1998 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.

1989 के चुनाव में पहली बार दिल्ली की सात सीटों पर तीन पार्टियों से सांसद चुने गए थे. बीजेपी ने 4, कांग्रेस ने 2 और एक सीट पर जनता दल की जीत हुई थी. 1998 के बाद से केंद्र में जीतने वाली पार्टी ने दिल्ली में 6 से कम सीटें नहीं जीतीं. 2024 के चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़ रहीं हैं. कांग्रेस तीन सीटों- चांदनी चौक, उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी दिल्ली तो आम आदमी पार्टी पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी और नई दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ रही है. अब देखना होगा कि इस बार दिल्ली पर किसका कब्जा होता है?

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