जबलपुर। शहर में सड़क किनारे अगर आप गाडिय़ां खड़ी करते हैं तो अब इसके पैसे देने होंगे। नगर निगम ने शहर में ऐसी 61 जगहों को इसके लिए चुना है। सोमवार को निगम की बैठक में इसका प्रस्ताव पास हुआ। जल्द ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। हालांकि, विपक्ष ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए इसे जनता की जेब में डाका करार दिया। विपक्ष ने कहा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने में जब निगम नाकाम हुआ, तो पेड करते हुए पार्किंग व्यवस्था को ठीक करने की बात कह रहा है।
फिलहाल 61 पेड पार्किंग होंगी
सदन की बैठक में प्रस्ताव पास किया गया है कि शहर के 61 स्थानों पर व्यवस्थित तरीके से गाडिय़ां पार्किंग की जाएंगी। यह एक पायलट प्रोजेक्ट होगा। इसमें सफलता मिलती है, तो पूरे शहर में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। महापौर जगत बहादुर अन्नू ने कहा कि जो लोग यातायात व्यवस्था को देखते हुए पार्किंग स्थल पर काम करेंगे उन्हें इसी वसूली के पैसे से वेतन दिया जाएगा। लोग कहीं भी गाडिय़ां खड़ी कर देते हैं। चुनी गईं सभी 61 जगहों पर नगर निगम अब तरीके से गाडिय़ां पार्क करवाएगी। कलेक्टर गाइडलाइन से पार्किंग शुल्क तय किया जाएगा।
पार्किंग के घंटे के हिसाब से लगेंगे पैसे
नगर निगम में उपसभापति अयोध्या तिवारी ने इस प्रस्ताव पर कहा, यह पूरी तरह से अव्यवहारिक है। जिस अव्यवस्था को व्यवस्था बनाने के लिए महापौर अपने हाथों में लेने की बात कर रहे हैं, वो कैसे व्यवस्था बन जाएगी, यह बड़ा सवाल है। महापौर ने सदन में यह कहा कि ट्रैफिक को लेकर अव्यवस्था फैल रही है, इसलिए अब यह हम अपने जिम्मे ले रहे हैं। पार्किंग पेड करने पर घंटों के हिसाब से लोगों को गाडिय़ों का किराया देना होगा। जिस तरह से स्टैंड में पार्किंग लगती है, ठीक उसी तरह से शहर की सड़कों पर पार्किंग चार्ज देना होगा। उन्होंने कहा कि सड़कें गाडिय़ों के चलने के लिए हैं। किनारे बने फुटपाथ लोगों के पैदल चलने के लिए हैं। इसके बाद भी 61 स्थानों पर पार्किंग व्यवस्था चिन्हित की गई है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर शहर की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था पर तीन दिन पहले लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने पुलिस-प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की बैठक ली थी। यातायात को ठीक करने के निर्देश दिए थे। यह भी कहा था कि सड़कों पर फैले अतिक्रमण को हटाया जाए। मंत्री के आदेश पर कलेक्टर, एसपी और निगम आयुक्त ने टीम के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाना भी शुरू कर दिया है।
दो पजल पार्किंग, एक का उद्घाटन बाकी
शहर में साढ़े 15 करोड़ की लागत से तीन मल्टीलेवल पजल पार्किंग बनाई गई हैं। मानस भवन में बनाई गई पजल पार्किंग ढाई करोड़ रुपए में तैयार की गई है। इसमें 37 कारें खड़ी हो सकती हैं। इसी तरह से सिविक सेंटर में साढ़े पांच करोड़ की लागत से 87 गाडिय़ों को खड़ी करने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा भंवरताल में 100 गाडिय़ां खड़ी करने के लिए साढ़े छह करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। हालांकि, तीन में से अभी दो पजल पार्किंग शुरू की गई हैं, जबकि एक का उद्घाटन होना शेष है।
संविदा सफाई कर्मचारियों पर हंगामा
साधारण सभा की बैठक की शुरुआत शांतिपूर्ण रही, लेकिन जैसे ही संविदा सफाई कर्मचारियों के सौ प्रतिशत वेतन भुगतान का प्रस्ताव पटल पर रखा गया, विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच वाद-विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस पार्षद दल के सचेतक अयोध्या तिवारी ने सफाई कर्मचारियों के मूल पद पर काम न करने का मुद्दा उठाया और कहा कि अधिकांश संविदा सफाई कर्मचारी दूसरे विभागों में अटैच हैं। कुछ वार्ड सुपरवाइजर के रूप में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं, कुछ बाजार वसूली का काम कर रहे हैं।
अन्नू बोले…ये आयुक्त का विशेष अधिकार
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने जवाब दिया कि यह आयुक्त का विशेषाधिकार है कि वह किस कर्मचारी को किस विभाग में काम सौंपें। अगर किसी को किसी कर्मचारी के काम पर आपत्ति है, तो वह आयुक्त से शिकायत कर सकता है, और यदि कर्मचारी ईमानदारी से काम नहीं कर रहा है तो आयुक्त उसे हटा भी सकते हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पार्षद कमलेश अग्रवाल ने इस मुद्दे को और भी स्पष्ट करते हुए योग्यता का हवाला दिया। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जैसे ही हम सब पार्षद चुने गए, वैसे ही कुछ अधिक योग्य लोग एमआईसी और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच गए हैं।
सर्वसम्मति से भी पास हुए प्रस्ताव
बैठक के दौरान कई प्रस्ताव बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से पारित हो गए, जिनमें प्रमुख रूप से चौराहों के नामकरण के प्रस्ताव थे। इसके अलावा फ्लाईओवर निर्माण में अधिग्रहण का मुआवजा और क्षतिग्रस्त बाउंड्रीवॉल की मरम्मत का प्रस्ताव भी पास किया गया। कठौंदा में पटाखा व्यापारियों को जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा ने पारदर्शिता बनाए रखने की सलाह दी, ताकि चंडालभाटा जैसे हालात न बनें।
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