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भारत का इकलौता गांव, जहां किसी का भी नहीं है नाम… गाने की धुन से पुकारते हैं लोग

January 08, 2025

कोंगथोंग: अगर हम कहें कि भारत में एक ऐसा भी गांव है, जहां किसी भी शख्स का नाम नहीं है. लोग एक दूसरे को गाना गाकर बुलाते हैं. क्यों हैरान रह गए ना? लेकिन ये हकीकत है. यहां जब भी बच्चे का जन्म होता है तो मां एक धुन निकालती है. बस वही बच्चे का नाम होता है. उसी धुन को गाकर लोग फिर बच्चे को ताउम्र बुलाते हैं.

भारत में यह अनोखा गांव मेघालय राज्य में है. इस गांव का नाम है- कोंगथोंग गांव जहां लोग एक दूसरे को उनके नाम से नहीं बल्कि एक अलग राग या विशेष धुन से बुलाते हैं. यही वजह है कि इस क्षेत्र को ‘व्हिसलिंग विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है. कोंगथोंग पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है, जो मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 60 किमी दूर है.


इस गांव के लोग अपने गांव वालों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए सीटी बजाते हैं. कोंगथोंग के ग्रामीणों ने इस धुन को ‘जिंगरवाई लवबी’ कहा है, जिसका अर्थ है मां का प्रेम गीत. गांव वालों के दो नाम होते हैं- एक सामान्य नाम और दूसरा गाने का नाम. गाने के नाम दो संस्करण होते हैं- एक लंबा गाना और एक छोटा गाना और छोटा गाना. आम तौर पर घर में छोटा गाना इस्तेमाल किया जाता है और लंबा गाना बाहर के लोग प्रयोग करते हैं.

कोंगथोंग में लगभग 700 ग्रामीण हैं और नाम के हिसाब से गांव में 700 अलग-अलग धुन हैं. खासी जनजाति के एक व्यक्ति और कोंगथोंग गांव के निवासी फिवस्टार खोंगसित की मानें तो, किसी व्यक्ति को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ‘धुन’ बच्चे के जन्म के बाद माताओं द्वारा बनाई जाती है. यदि कोई ग्रामीण मरता है, तो उसके साथ-साथ उस व्यक्ति की धुन भी मर जाती है. हमारी अपनी धुनें होती हैं और मां ही इन धुनों को बनाती हैं.

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