डेस्क: आज दुनियाभर में इंटरनेशनल विमेंस डे मनाया जा रहा है. इस दिन को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम को प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
यहां हम आपको भारत में महिलाओं की ऐसी ही एक उपलब्धि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस क्षेत्र में कभी पुरुषों का वर्चस्व रहा करता था. दरअसल हम बात कर रहे हैं देश के ऐसे पहले ऑटोमोबाइल प्लांट के बारे में जहां केवल महिलाएं ही काम करती है और और हर साल 75 हजार एसयूवी का प्रोडक्शन करती हैं.
किस कंपनी का है ये प्लांट जहां महिला करती है काम
टाटा मोटर्स के पुणे मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में महिलाएं काम करती हैं. यह देश का इकलौता प्लांट है, जहां महिलाएं हर साल 75 हजार एसयूवी का प्रोडक्शन कर रही हैं. जिसमें इंजन लगाने से लेकर क्वालिटी चेकिंग तक का काम महिलाएं करती हैं. टाटा के इस प्लांट में नेक्सन, सफारी और हैरियर जैसी एसयूवी का निर्माण होता है.
शुरुआत में लोगों ने ताने मारे
एक अखबार को टाटा मोटर्स की वाइस प्रेसिडेंट (एचआर) सीताराम कांडी ने बताया कि चेक रिपब्लिक में जब एक लड़की को गाड़ियों के बंपर भरे ट्रक को अकेले खाली करते देख तो मन में ख्याल आया. भारत में क्यों नहीं महिलाएं कारों के प्लांट में काम कर सकती हैं. इसके बाद टाटा मोटर्स के इस प्लांट में महिलाओं की हाइट के हिसाब से असेंबली लाइन तैयार कराई गई.
उनके अनुसार इस कदम पर पहले काफी ताने मारे गए, जिसमें लोगों ने यहां तक कहा कि पहले 150 महिलाओं से काम करना शुरू करो, फिर 1500 महिलाओं के बारे में सोचना. सीताराम कांडी के अनुसार वर्तमान में टाटा मोटर्स के इस प्लांट में 1500 महिलाएं काम करती हैं.
पिछड़े इलाकों से हैं ये महिलाएं
टाटा मोटर्स के इस प्लांट में ज्यादातर महिलाएं पिछड़े इलाके की रहने वाली हैं. जो कभी रोजगार के लिए परेशान रहती थी. जो अब इस प्लांट में काम करके अपने पैरों पर खड़ी हैं और परिवार की ताकत हैं. इनमें से कुछ महिलाएं डिप्लोमा कोर्स कर रही है और ऊंचे पदों पर पहुंचने का सपना देख रही है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved