साढ़े 8 एकड़ निजी फर्म को सौंपना थी जमीन… फ्री होल्ड पॉलिसी व अन्य तकनीकी कारणों से निगम ने रोकी प्रक्रिया
इन्दौर। नगर निगम ने पिछले दिनों बड़ा बांगड़दा में लगभग साढ़े 8 एकड़ जमीन निजी डवलपर्स को सौंप विकसित भूखंडों को बिकवाने के टैंडर जारी किए थे, जो अभी निरस्त कर दिए गए। शासन स्तर पर उपलब्ध फ्री होल्ड पॉलिसी के साथ अन्य तकनीकी कारणों के चलते यह योजना अभी टालना पड़ी। बीओटी की तर्ज पर निगम जमीन किसी निजी फर्म को सौंपकर कालोनी विकसित करवाना चाहता था और उसके एवज में उसे लगभग 11 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होती। बहुमंजिला फ्लेटों के साथ भूखंडों को विकसित करवाने की यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।
प्रशासन से नगर निगम को कई स्थानों पर गरीबों के लिए बहुमंजिला फ्लेटों के निर्माण के लिए सरकारी जमीनें मिली है। इनमें बड़ा बांगड़दा में खसरा नं. 16 की साढ़े 3 हैक्टेयर यानी लगभग साढ़े 8 एकड़ जमीन भी शामिल है, जिस पर बहुमंजिला इमारत की बजाय निगम ने भूखंडों को विकसित करवाकर बिकवाने का निर्णय लिया और इसके लिए पिछले दिनों टैंडर भी जारी कर दिए थे, जिसमें निजी फर्मों, यानी कालोनाइजर, डवलपर्स को आमंत्रण दिया कि वह निगम की जमीन ले ले और उसे विकसित करने के बाद उसके भूखंड बेचे और बदले में निगम को निर्धारित राशि दे दी जाए। निगम ने इसके लिए 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि मिलने का अनुमान लगाया था। जो भी फर्म इससे अधिक राशि का टैंडर भरती उसे यह जमीन विकसित करने के लिए सौंप दी जाती। मगर अभी निगम ने इस टैंडर को निरस्त कर दिया। इस संबंध में निगम के वरिष्ठ अभियंता महेश शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि अभी उक्त टेंडर को फिलहाल निरस्त किया गया है। दरअसल अभी लीज की शर्तों के साथ यह जमीन और उस पर विकसित होने वाले भूखंडों का आबंटन होना था, जिसमें परेशानी होती, वहीं अन्य कुछ तकनीकी कारण भी सामने आए। लिहाजा टेंडर में परिवर्तन करने के बाद उसे फिर से जारी किया जाएगा। वहीं शासन की फ्री होल्ड पॉलिसी भी तब तक अमल में आ जाएगी। निगम ने बिल्ट फाइनेंस, ऑपरेट एंड फ्रांसफर यानी डीबीएफओटी के तहत बड़ा बांगड़दा की जमीन पर निजी कम्पनियों से टेंडर बुलवाए थे, जिसे कि फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ही निगम को जो जमीनें मिली उन्हीं में से इस बड़ा बांगड़़दा की लगभग साढ़े 3 हैक्टेयर जमीन को निजी फर्म को सौंपकर उस पर कालोनी विकसित करवाई जाना थी, जिस पर भूखंडों को निजी लोगों को बेचा जाता।
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