भोपाल। राजधानी के हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में आगजनी की घटना 3 दिन बाद मरने वाले बच्चों की संख्या पर संशय है। सरकार ने अभी तक सिर्फ 5 बच्चों की मौत की पुष्टि की है, जबकि आगजनी में 13 से ज्यादा बच्चों के शव बाहर निकल चुके हैं। बच्चों के शवों का पोस्ट मार्टम (Post Mortem) करने वाले डॉक्टर भी भारी मन से आगजनी में लिपटे बच्चों की संख्या बता चुके हैं। बच्चों की मौत को लेकर अफसरों ने सबसे बड़ा झूठ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के सामने बोला है। जब मुख्यमंत्री ने हमीदिया हादसे को लेकर आपात बैठक बुलाई तो मुख्यमंत्री ने तथ्य मांगे तो अफसरों ने बताया कि 5 बच्चों की मौत हो चुकी है। बाकी का ेबचा लिया है, जिनका इलाज जारी है।
अपराधिक लापरवाही, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ तबादला
हमीदिया के कमलनाथ नेहरू अस्पताल में आगजनी की घटना को खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपराधिक लापरवाही है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जिम्मेदारों का सिर्फ तबादला किया गया है। जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनका दोष है, उन्हें तत्काल हटाकर उन पर कार्रवाई की जाएगी, किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान को घटना की जांच का दायित्व सौंपा था। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सुलेमान की रिपोर्ट के आधार पर ही गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जीतेन्द्र शुक्ल, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लोकेन्द्र दवे और कमला नेहरू अस्पताल के संचालक डॉ. केके दुबे का तबादला किया गया है। जबकि सीपीए विद्युत विंग के उप यंत्री अवधेश भदौरिया को निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश के अस्पतालों में हड़कंप
भोपाल की घटना के बाद प्रदेश भर के सभी सरकारी अस्पतालों में हड़कंप मचा है। घटना के बाद से ही सभी मेडिकल कॉलेज समेत प्रमुख अस्पतालों का प्रबंधन अस्पताल की फायर और इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट में जुट गए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों को समय सीमा के भीतर फायर और इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.एन.सी.यू. सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) में गंभीर रूप से अस्वस्थ बच्चों को रखा जाता है। भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो, इसके लिए प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को 10 दिन के भीतर जिलों के सभी शासकीय तथा निजी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों के फायर और इलेक्ट्रिक सेफ्टी तथा अन्य बचाव एवं सुरक्षा के इंतजाम करने को कहा है।
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