भोपाल। प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने प्रदेश में उजड़ रहे और अतिक्रमण की चपेट में आ रहे वनों को लेकर दावा किया है कि प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्रफल में 63 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2005 में 4239 वर्ग किलोमीटर अति सघन वन क्षेत्रफल था, जो अब बढ़कर 6665 वर्ग किलोमीटर तक हो चुका है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। इससे पहले भी अफसर सरकार को कागजों में वनों को हरा-भरा दिखा चुके हैं। वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि प्रदेश के 79 लाख 70 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र के वन प्रबंधन में जन-भागीदारी हेतु प्रदेश के 15 हजार 608 ग्रामों में वन समिति गठित है। वनों के प्रबंधन में आश्रित समुदायों की भागीदारी से सकारात्मक परिणाम आए हैं। जहाँ एक ओर दुनिया में प्राकृतिक वनों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में भी प्रदेश में हजारों ग्राम समुदायों ने वन विभाग के साथ मिलकर बिगड़े वन क्षेत्रों को अच्छे वनावरणों वाले वन-क्षेत्रों में परिवर्तन का कार्य किया है। वन क्षेत्रों में हुई वृद्धि में प्रदेशवासियों खास तौर पर वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले जनजातीय समुदायों की अहम भूमिका रही है।
मप्र के भेडिय़ों पर आकर्षित होते हैं पर्यटक
मध्यप्रदेश के वन सागौन, साल जैसी बे-शकीमती इमारती लकड़ी और बाँस उत्पादन के मामले में देशभर में विख्यात हैं। साथ ही वन्य-प्राणियों के संरक्षण के मामले में भी अग्रणी राज्य बन गया है। सर्वाधिक 526 बाघों की उपस्थिति से प्रदेश को बाघ राज्य का गौरव हासिल है। देश में सर्वाधिक 3421 तेन्दुए, 2 हजार घडिय़ाल और 772 भेडियों की मौजूदगी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है।
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