कलेक्टर को मिली जांच रिपोर्ट में भी ढेरों लापरवाही उजागर
इंदौर। समाजसेवा (Social service) की आड़ में आश्रमों (ashrams) का संचालन तो जोर-शोर से किया जाता है और आए दिन फोटोबाजी (Photoshoot) भी करवाई जाती है। मगर हकीकत यह है कि अधिकांश बाल, वृद्धाश्रम से लेकर मंदबुद्धि बच्चों (retarded children) के लिए चलाए जा रहे आश्रमों में घनघोर लापरवाही (Negligence) है। अभी युग पुरुष धाम आश्रम (Yug Purush Dham Ashram) में आधा दर्जन मासूमों की मौत ने समाजसेवा के इस खेल के फर्जीवाड़े की पोलपट्टी खोल दी है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच समिति भी गठित कर दी थी, जिसके प्रभारी अपर कलेक्टर गौरव बेनल बनाए गए। उन्होंने तत्परता से मात्र 48 घंटे में ही जांच कर अपनी अंतरिम रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी। अग्रिबाण को इस जांच रिपोर्ट से संबंधित कई महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं, जिससे साफ पता चलता है कि आश्रम संचालकों ने किस तरह की अनियमितताएं की है। 200 से अधिक बच्चे रखे गए, जबकि इतनी क्षमता ही नहीं है। साफ-सफाई की हालत अत्यंत दयनीय है। बालक-बालिकाओं को एक साथ रखा गया। अन्न भंडारण का कमरा सीलन और बदबूभरा पाया गया, तो जगह-जगह कचरा, पानी भरा मिला। यहां तक कि पीने के पानी के लिए आरओ की व्यवस्था भी ठीक नहीं मिली। आश्रम के अध्यक्ष, सचिव या संचालिका ने इन तमाम खामियों को दूर करने के कोईकारगर प्रयास भी नहीं किए। आश्रम संचालिक अनिता शर्मा के बयान भी दर्ज किए गए। उसमें भी विरोधाभास पाया गया। वहीं संभागायुक्त दीपक सिंह ने भी सभी जिलों में चल रहे ऐसे आश्रमों की जांच के निर्देश दिए हैं और सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नियमित करने को भी कहा है।
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