तेल अवीव: हमास (Hamas) के वरिष्ठ नेता (Senior Leaders) ने स्वीकार किया है कि चरमपंथी संगठन का 7 अक्टूबर ( October 7) को किया गया हमला इजरायल (Israel) के अरब देशों (Arab countries) से सामान्य होते रिश्तों को रोकने के लिए किया गया था। हमास के राजनीतिक ब्यूरो के अधिकारी गाजी हमाद (Ghazi Hamad) ने जून के आखिर में फिलिस्तीन समर्थक एक एनजीओ के साथ लाइवस्ट्रीम के दौरान ये कबूलनामा किया था। हमाद ने 7 अक्टूबर के हमलों की तारीफ की और कहा कि उन्होंने अरब देशों और इजरायल के लिए सामान्य हो रहे संबंधों के सामने चुनौती खड़ी कर दी। इसी हमास नेता ने पहले लेबनानी मीडिया को बताया था कि हमास 7 अक्टूबर को बार-बार दोहराएगा।
हमले ने बदल दिया नजरिया
हमाद ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि पश्चिमी समर्थन और अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था की बदौलत इजरायल क्षेत्र के देशों के साथ रिश्ते सामान्य करने तक पहुंच गया और खुद को क्षेत्र के एक तत्व के रूप में मजबूत किया, लेकिन हमलों ने इस पूरे दृष्टिकोण को बदल दिया। हमाद ने दावा किया कि हमास ने इजरायली सेना की गाजा ब्रिगेड को निशाना बनाने के लिए लड़ाकों को भेजा था और उनका लक्ष्य इस ब्रिगेड को नष्ट करना और कुछ सैनिकों को बंदी बनाना था।
इजरायल का प्लान हुआ फेल
हमाद ने इजरायल के बारे में अंतरराष्ट्रीय धारणा में आए बदलाव को लेकर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विश्वविद्यालयों ने यहूदी राज्य के साथ अपने संबंध तोड़ लिए हैं। साथ ही कई देशों ने इजरायल के साथ अपने संपर्क तोड़ दिए हैं। हमाद ने जोर देकर कहा, सात अक्टूबर का दिन सामान्यीकरण की प्रगति पर एक तमाचा था और यह निश्चित रूप से एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक सफलता है। चरमपंथी संगठन के नेता ने दावा किया कि नेतन्याहू अपने उद्देश्यों को हासिल करने में विफल रहे। हर एक क्षेत्र में जहां इजरायली बल हमला करते हैं और चले जाते हैं। हमास खुद को फिर से संगठित करता है और उस क्षेत्र में स्थापित करता है। इसलिए कब्जा विफल हो रहा है।
7 अक्टूबर को क्या हआ था?
7 अक्टूबर 2023 को हमास के लड़ाकों ने इजरायल के अंदर हमला बोल दिया था। इस हमले में 1200 इजरायली मारे गए थे और 254 लोगों को हमास के चरमपंथी बंधक बनाकर गाजा में ले गए थे। हमास के हमले में मरने वाले अधिकतर इजरायली नागरिक थे। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। इसके बाद इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान शुरू किया, जिसमें अब तक चालीस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
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