इंदौर। शासन के निर्देश के बाद इंदौर (Indore) सहित प्रदेशभर में अवैध कॉलोनियों (illegal colonies) को वैध करने का नया अभियान फिर से शुरू किया गया है। इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) ने भी उन रहवासियों से आवेदन बुलवाए हैं, जो अवैध कॉलोनियों में निवासरत हैं। गजट नोटिफिकेशन (gazette notification) के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्रालय (Ministry of Urban Administration and Development) ने 20 बिंदुओं पर सभी आयुक्तों को दिशा-निर्देश भी भिजवा दिए हैं, जिसके तहत कॉलोनियों को वैध किया जाना है। इंदौर नगर निगम ने भी इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी और आवेदन बुलवाए हैं। निगम रिकॉर्ड में हालांकि 600 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। इस बार शासन ने कुछ नियमों में संशोधन भी किए हैं।
पूर्व में भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने का अभियान (Campaign) चलता रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले भी शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया को मूर्तरूप दे दिया था, मगर उसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने इस पूरी प्रक्रिया को अवैध बताया, जिसके चलते पुरानी भी वैध की गई कॉलोनियों फिर से अवैध की श्रेणी में आ गईं। अब शासन ने विधि विशेषज्ञों की राय के बाद नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किए और मध्यप्रदेश नगर पालिका (Madhya Pradesh Municipality) नियम-2021 का गजट नोटिफिकेशन 13 जनवरी को प्रकाशित किया था, जिसमें कॉलोनी के विकास की प्रक्रिया निर्बधन, शर्तें और अवैध कॉलोनियों से संबंधित उपबंधों का प्रावधान किया गया।
उसके अनुरूप अब नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय ने 20 बिंदुओं की संक्षेपिका भी सभी कलेक्टर, निगमायुक्त और सीएमओ के साथ संयुक्त संचालक (director) को भिजवाई है, ताकि इन बिंदुओं के आधार पर नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इस बार 31.12.2016 तक की अवैध कॉलोनियों को ही वैध किया जाएगा। नगर निगम में भी सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन करते हुए अवैध कॉलोनियों के नागरिकों से कॉलोनी सेल में आवेदन-पत्र बुलवाए गए हैं।
पिछली बार 162 कॉलोनियां ही मिली थीं वैध योग्य
पिछली बार भी जब अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया हुई तो साढ़े 300 से अधिक आवेदनों की जांच के बाद नगर निगम ने लगभग 162 कॉलोनियों को वैध करने योग्य माना था। उनमें से कुछ कॉलोनियों के लिए विकास शुल्क जमा करवाने सहित अन्य प्रक्रिया भी हो गई थी, मगर जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सारी प्रक्रिया ठप पड़ गई। अब नए सिरे से वैध करने के प्रावधान के साथ आवेदन बुलवाए जा रहे हैं। अब कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन (Registration of colonizer) भी संचालनालय स्तर पर होगा और तीन चरणों में कॉलोनी के विकास की अनुमति मिलेगी। दो हेक्टेयर से अधिक की कॉलोनी का अभिन्यास नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूरी के बाद अधिकतम तीन चरणों में कॉलोनी विकसित करने के लिए सक्षम प्राधिकारी को आवेदन प्रस्तुत करेंगे। विकास की अनुज्ञा की अवधि अधिकतम 5 साल निर्धारित की गई है और 2016 के बाद अवैध बनी कॉलोनियों को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा।
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