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झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर अगली सुनवाई 21 मई को होगी सुप्रीम कोर्ट में


रांची । झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर (On the petition of former Jharkhand CM Hemant Soren) सुप्रीम कोर्ट में (In the Supreme Court) अगली सुनवाई (Next Hearing) 21 मई को होगी (Will be held on May 21) । सोरेन ने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की है।


उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की भी गुहार लगाई है, लेकिन, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आज समयाभाव के कारण इस पर विस्तृत सुनवाई नहीं हो सकती। कोर्ट ने याचिका को अगले मंगलवार यानी 21 मई को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। शुक्रवार को जब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला सामने लाया गया तो ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इस पर जवाब के लिए समय की मांग  की। कोर्ट ने जब हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत के संबंध में एएसजी से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव के चार चरण पहले ही खत्म हो चुके हैं।

सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी तीन चरणों के चुनाव 20, 25 मई और 1 जून को हैं और इस पर विचार किया जाना चाहिए। इस पर बेंच ने कहा कि जब तक बेंच इस मामले में प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं हो जाती, कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि आज विस्तृत सुनवाई का समय नहीं है। बेंच ने ईडी को सोमवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। इसके पहले झारखंड उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

बता दें कि रांची के बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। ईडी ने मामले में 30 मार्च को अदालत में हेमंत सोरेन के अलावा जमीन के मूल रैयत राजकुमार पाहन, हेमंत सोरेन के करीबी विनोद कुमार, राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और हिलेरियस कच्छप के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल की है। इसमें बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से जमीन हासिल की, बल्कि जांच शुरू होने पर साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की।

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