डेस्क: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित बागेश्वर धाम में 18 फरवरी को 125 कन्याओं का विवाह हुआ. इस दौरान उस वक्त सारा माहौल भावुकता से भर गया, जब धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कन्याओं से उनके विचार पूछे. इनमें कई युवतियां ऐसी थीं, जिनके माता-पिता में से कोई एक नहीं था, तो कुछ लड़कियों का कोई था ही नहीं. कुछ लड़कियों का भरापूरा परिवार था, लेकिन घरवालों ने उनकी मदद ही नहीं की.
एक दुल्हन ने कहा, ‘हम सबसे एक ही निवेदन कर रहे हैं कि हमारे गुरूजी को बदनाम करने की कोशिश न करें. वो बहुत अच्छे हैं. ऐसा कोई नहीं हैं, जैसे गुरुदेव हैं. बालाजी सरकार चमत्कारी हैं. लेकिन, कोई ये न कहे कि गुरुदेव ने चमत्कार करके सबको वश में कर दिया. यहां बालाजी की शक्ति है. हम यहां 7 महीने से हैं. हमारा यहां कोई पर्चा नहीं बना. फिर भी, हमारे सारे काम अपने आप हो रहे हैं. हमारा कोई नहीं है. इसके बावजूद अंतरआत्मा शांत है.’
एक अन्य युवती ने कहा, हमें यहां आकर अच्छा लगा. हमारे तीन भाई हैं, लेकिन कोई सपोर्ट नहीं किया. केवल महाराज ने हमारा साथ दिया. मैं हमेशा बागेश्वर धाम की आभारी रहूंगी और यहां से जुड़ी रहूंगी. एक दुल्हन ने कहा, गुरुजी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सबकुछ होने के बाद भी हमारा कोई नहीं है. आप हमारे गुरुजी हैं.
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यहां 52 कन्याएं ऐसी हैं, जिनके पिता-माता में से कोई एक नहीं है. उनका मैंने नहीं जनता ने साथ दिया है. इस बीच जब एक लड़की ने कहा कि उसका पिता नहीं है, तो धीरेंद्र ने कहा कि वे ही आज से उसके पिता हैं. उन्होंने महिला से कहा कि वे जब चाहे उनसे मिलने आ सकती हैं.
बागेश्वर धाम के मुताबिक, यह कार्यक्रम ऐतिहासिक था. इसमें करीब 50 लाख लोग शामिल हुए. इस कार्यक्रम को अप्रत्यक्ष रूप से 2 करोड़ लोगों ने देखा. इस आयोजन के लिए समिति ने लोगों का आभार भी व्यक्त किया है.
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